खनन स्थल छोड़ भागे ठेकेदार व कर्मी
बहराइच : बौंडी थाना क्षेत्र के भौंरी गांव के पास बालू खनन का पट्टा दिए जाने के बाद उठे बगावत के सुर
बहराइच : बौंडी थाना क्षेत्र के भौंरी गांव के पास बालू खनन का पट्टा दिए जाने के बाद उठे बगावत के सुर के पीछे आखिर किसका हाथ है? यह चर्चाएं आम होती जा रही हैं। मासूमों की मौत के बाद हुए बवाल व मुकदमे में गिरफ्तारी के भय से खनन करने वाले ठेकेदार भी स्थल छोड़कर फरार हो गए हैं। घटना की तह तक पुलिस तीसरे दिन भी नहीं पहुंच सकी है। भौंरी गांव के अधिकांश ग्रामीण खनन का विरोध कर रहे हैं। इसे बंद करवाने के लिए एसडीएम से मुख्यमंत्री तक गुहार भी लगा चुके हैं। 24 जून को आमरण अनशन करने की चेतावनी भी दी गई थी।
खनन के बाद बढ़ जाएगी कटान की संभावना
गांव के रामसूरत वर्मा, सुरेश कुमार, गो¨वद वर्मा व अन्य ग्रामीणों का कहना है कि यह गांव घाघरा के बिल्कुल किनारे बसा है। घाघरा में हो रहे खनन के बाद घाघरा में काफी गहराई हो रही है। जब घाघरा अपने विशालकाय रूप में आएगी तो भौंरी, सिपहिया हुलास, सरसठ बेटौरा, समदा आदि गांवों समेत बेलहा बेहरौली तटबंध पर संकट के बादल मंडराने लगेंगे। इसी आशंका के साथ ग्रामीण खनन का विरोध कर रहे हैं।
ग्रामीणों की जमीन में हो रहा खनन
महेश सोनी, चेतराम, रहमत अली का यह भी आरोप है कि शासन प्रशासन द्वारा जिस गाटा संख्या का खनन के लिए ठेका किया गया है । खनन करने वाले उस गाटा संख्या में खनन ना करके ग्रामीणों के गाटा संख्या की जमीन में खनन कर रहे हैं । जिससे ग्रामीणों के खेत तालाब में परिवर्तित हो रहे हैं और उन की फसलें भी बर्बाद हो रही है ।
सड़क पर निकलना खतरे से भरा
सुरेंद्र वर्मा, वीरेंद्र कुमार, विक्रम का यह भी कहना है कि प्रतिदिन यहां पर प्रतिदिन सैकड़ों बालू लदी ट्रैक्टर- ट्रालियों का आवागमन होता है जिससे पूरी सड़क व्यस्त हो गई है। ऐसे में छोटे-छोटे बच्चों सहित लोगों का सड़क पर निकलना भी दूभर है। यही वजह है कि ग्रामीण लगातार खनन का विरोध करने पर जुटे हुए हैं।