आम बौर को देखकर गदगद हैं किसान
बहराइच : जिले के मैंगो बेल्ट के किसान गदगद हैं। पेड़ में आए आम के बौरों को देखकर फूले नहीं समा रहे है
बहराइच : जिले के मैंगो बेल्ट के किसान गदगद हैं। पेड़ में आए आम के बौरों को देखकर फूले नहीं समा रहे हैं। किसानों का मानना है कि इस बार आम की रिकार्ड पैदावार होगी। उद्यान विभाग भी यही बात कह रहा है, लेकिन मौसम के उतार-चढ़ाव को देखते हुए यह भी कह पाना मुश्किल है कि आम की फसल इससे प्रभावित नहीं होगी। मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि मौसम की बदमिजाजी आम की फसल को प्रभावित कर सकता है।
भारत-नेपाल सीमा पर स्थित तराई के इस जिले में आम उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है। खासतौर पर मैंगो बेल्ट नवाबगंज, रिसिया, चित्तौरा, पयागपुर, कैसरगंज व जरवल में आम की बागवानी बड़े पैमाने पर होता है। इन क्षेत्रों से प्रतिवर्ष हजारों मीट्रिक टन आम देश व प्रदेश के विभिन्न मंडियों में जाता है। बौर के आते ही बाहरी आढ़तियों की आमद शुरू हो जाती है। जिले में तकरीबन 3000 हेक्टेअर से अधिक क्षेत्रफल पर आम के बाग लगे हैं।
बनारस व बिहार के आढ़तियों की आमद शुरू
जिले में थोक में आम खरीदने के लिए अभी से ही आढ़तियों की आमद शुरू हो गई है। बनारस, बिहार, दिल्ली के अलावा पड़ोसी देश नेपाल से भी आढ़तियों की आमद शुरू हो गई है। आढ़ती पेड़ पर आए बौरों को देखकर बोली लगाते हैं। इसके बाद बाग का बाग वह ले लेते हैं। रखवाली भी अपने हिसाब से करते हैं।
चूर्ण रोग व मैंगों हॉपर से सतर्क रहें किसान
उद्यान विभाग के योजना प्रभारी आरके वर्मा कहते हैं कि आम की फसल के लिए इस समय मौसम ही अनुकूल है। अगर मौसम विपरीत नहीं हुआ तो आम की बंपर पैदावार होगी। उन्होंने बताया कि नमी होने पर आम की फसल में चूर्ण रोग व मैंगो हॉपर रोग लगने की संभावना बढ़ जाती है। चूर्ण रोग से पौधों में भुरभुरापन हो जाता है, जबकि मैंगो हॉपर लगने से पेड़ से बूंद-बूंद पानी गिरता है। यह रोग दो दिन में सारे बौर को खत्म कर देता है। वे बताते हैं कि मैंगो हॉपर रोग लगने पर एमिडा क्लोपिट का छिड़काव किसान भाइयों को करना चाहिए। एक मिली लीटर दवा में दो लीटर पानी घोलकर छिड़काव करना चाहिए। चूर्ण रोग में एक मिली लीटर कैराफेन में दो लीटर पानी घोलकर छिड़काव करना चाहिए। उनहोंने यह भी बताया कि किसान भाइयों को छिड़काव उस समय करना चाहिए जब परागम पर विपरीत प्रभाव न पड़े।