भाजपा व कांग्रेस के उम्मीदवारों की अटकी सांसे
बहराइच : चुनावी दंगल की सीटी बज गई है। भाजपा और कांग्रेस अभी अपने पहलवानों को ही परख रही है। मकर संक
बहराइच : चुनावी दंगल की सीटी बज गई है। भाजपा और कांग्रेस अभी अपने पहलवानों को ही परख रही है। मकर संक्रांति भी शनिवार को गुजर गया। उम्मीदवारो की सूची की आस में सांसे अटकी हुई हैँ। कुछ उम्मीदवार तो दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं तो कुछ थक हार कर घर पर बैठ गए हैं। भाजपा में उम्मीदवारों की फेहरिस्त लंबी है। छंटनी का काम संसदीय बोर्ड के हवाले है। आरएसएस भी सूची में चलनी लगा रहा है। जिताऊ और टिकाऊ सारथी की तलाश है।
पिछले चुनाव में कैसरगंज व बलहा विधान सभा सीटों पर ही भाजपा का कमल खिला था। लोकसभा के चुनाव में बलहा विधायक सावित्री बाई के सांसद बन जाने के बाद यहां की सीट खाली हो गई। हुए उपचुनाव में सपा की झोली में यह सीट चली गई। हालांकि नानपारा से कांग्रेस से जीतीं माधुरी वर्मा चुनाव के ठीक पहले केसरिया खेमे में पहुंच गई हैँ। इससे भाजपा के दो विधायक बरकरार रहे। 11 दिसंबर को मोदी की परिवर्तन रैली में उमड़ी भीड़ से गदगद भाजपा में सत्ता पाने की छटपटाहट बढ़ गई। सात विधानसभा सीटों पर इसकी नजरें लगी हुई हैँ। हर विधानसभा सीट पर प्रत्याशियों की फेहरिस्त लंबी है। बसपा ने सभी सीटों पर उम्मीदवरो की घोषणा कर दी है। लगभग सपा के प्रत्याशी भी तय हैं, लेकिन शीर्ष नेतृत्व के आपसी कलह के चलते इनके कदम भी ठिठके हुए हैं। वहीं कांग्रेस में भी प्रत्याशियों की सूची नहीं जारी की गई है। वर्ष 2012 के विधान सभा के चुनाव में इस जिले में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहा। दो सीटों पर चुनाव जीती थी। हालांकि अभी हाल में पयागपुर से कांग्रेस से जीते विधायक सपा में शामिल हो गए थे। बहराइच और मटेरा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी रनरअप रहे। दोनों पार्टियों के उम्मीदवार टिकट पक्का करने के लिए बड़े नेताओं की गणेश परिक्रमा में जुटे हुए हैं।