प्रतिबंध को आईना दिखा रहे पालीथीन के ढेर
बहराइच : पर्यावरण को हो रहे नुकसान को देखते हुए राज्य सरकार ने कोर्ट के आदेश पर पालीथीन पर प्रतिबंध
बहराइच : पर्यावरण को हो रहे नुकसान को देखते हुए राज्य सरकार ने कोर्ट के आदेश पर पालीथीन पर प्रतिबंध लगा रखा है। प्रतिबंध 21 जनवरी से पूरे राज्य में प्रभावी भी है। इसके तहत 40 माइक्रान से कम मोटाई की पालीथीन के निर्माण, बिक्री और इस्तेमाल को अपराध की श्रेणी में रखा गया है। बावजूद इसके जिले में पालीथीन का उपयोग बेरोकटोक जारी है। शहर के बाहर जमा हो रहे कूड़े के ढेर में मौजूद पालीथीन का कचरा प्रतिबंध को साफ आईना दिखा रहा है।
पालीथीन पर प्रतिबंध की हकीकत जाननी हो तो शहर के प्रवेश द्वारों पर सड़क किनारे बने अघोषित कूड़ा डंपिग स्थलों का नजारा देखना काफी होगा। शहर से हर रोज निकलने तकरीबन 60 टन से अधिक कूड़े में पालीथीन की अच्छी खासी हिस्सेदारी रहती है। इसमें बड़ी संख्या में वह पालीथीन है जो रोजमर्रा के सामानों को घर लाने के लिए इस्तेमाल की जा रही है। बात चाहे सब्जी लाने की हो, दूध, तेल, अनाज, चीनी, नमक या फिर अन्य वस्तुएं। बड़ी संख्या में कैरीबैग के रूप में घरों में पहुंचने वाली पालीथीन कूड़े के साथ फेंक दी जाती है। शहर के हर मुहल्ले की नालियां पालीथीन से पटकर चोक हो रही हैं। नालों में भी पालीथीन का अंबार नजर आता है। जलनिकासी का मार्ग अवरुद्ध होने पर नालियों का पानी सड़कों पर भर जाता है। शहर के हर मुहल्ले की हालत तकरीबन एक सी है। नानपारा नगर पालिका, नगर पंचायत जरवल, नगर पंचायत रिसिया की कहानी भी एक जैसी है। पालीथीन से चोक नालियां यहां की प्रमुख समस्या हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में पालीथीन कूड़े के ढेर के माध्यम से खेतों तक पहुंच कर खेतों की उर्वरा शक्ति को नुकसान पहुंचा रही है। भरपूर खाद, पानी देने के बाद किसान को अपेक्षित उत्पादन नहीं मिल पा रहा है। इन नुकसानों को देखने के बाद भी जिम्मेदार चेतने को तैयार नहीं हैं। फसल अनुसंधान केंद्र प्रभारी कृषि वैज्ञानिक डॉ. एमवी ¨सह बताते हैं कि पालीथीन का जहर जमीन, हवा और पानी तीनों को प्रदूषित कर रहा है। समय रहते इस पर रोक नहीं लगाई गई तो हालात बेकाबू हो सकते हैं।