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गन्ना फसल से मुंह मोड़ रहे किसान

बहराइच : कभी नगदी फसल के रूप में जिले के किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने वाले गन्ने की मिठास अब कम

By Edited By: Published: Sun, 25 Sep 2016 11:58 PM (IST)Updated: Sun, 25 Sep 2016 11:58 PM (IST)
गन्ना फसल से मुंह मोड़ रहे किसान

बहराइच : कभी नगदी फसल के रूप में जिले के किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने वाले गन्ने की मिठास अब कम होती जा रही है। लगातार हो रहे घाटे, मौसम की रुसवाई और चीनी मिलों की दगाबाजी से किसान गन्ना छोड़कर दूसरी नगदी फसलों की ओर रुख कर रहे हैं। इस साल के गन्ना सर्वे में फसल का घटता रकबा भी इस बात की पुष्टि कर रहा है।

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तराई के जिले में गन्ने की फसल किसानों के बीच में नगदी फसल के रूप में जानी जाती है। कम मेहनत और अच्छी आमदनी के चलते किसान गन्ना फसल को मुनाफे की खेती मानते हैं। जिले की चार चीनी मिलों के अलावा यहां उत्पादित गन्ना आस पास के जिलों की मिलों में भी बेचा जाता है। इन सबके बावजूद गन्ना अब किसानों की आर्थिक मजबूती का सहारा नहीं बन पा रहा है। गन्ने की खेती में बढ़ती लागत ने किसानों को काफी परेशानी में डाला है। विशेश्वरगंज निवासी गन्ना किसान हजारी लाल ने बताया कि उन्नतिशील गन्ना बीज, बोआई, ¨सचाई, उवर्रक फिर कटाई पर होने वाला खर्च बढ़ता जा रहा है। बंजरिया निवासी राम कुमार तिवारी कहते हैं कि गन्ने की खेती में मेहनत भी है और बेचने में भी कठिनाई होती है, बिकने के बाद मिल से सही समय पर रुपया मिलने में भी कठिनाई होती है जिससे अगली फसल के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसी के चलते अब वह केले की खेती करने का मन बना रहे हैं। फखरपुर के ग्राम कचना सलारपुर निवासी किसान सब्बू ने बताया कि गन्ने की फसल में लागत बढ़ी है और समय पर चीनीमिल से पैसा नहीं मिलता। इसके चलते वह अब मेंथा व केला की खेती को तरजीह दे रहे हैं। अरईकलां गांव निवासी अली हुसैन ने बताया कि गन्ने की फसल में भरपूर मेहनत के बाद भी लाभ नहीं मिल पा रहा है। लागत को देखते हुए इस समय गन्ना मूल्य कम से कम 400 रूपये प्रति ¨क्वटल हो व मूल्य समय से भुगतान किया जाए तो किसान इस पर दांव लगा सकते हैं।

गन्ना रकबे में यूं आई कमी

जिले में इस बार के गन्ना सर्वे में कुल गन्ना क्षेत्रफल में गत वर्ष की तुलना में लगभग 19 फीसदी की कमी आई है। वर्ष 2016-17 के गन्ना सर्वे में जिले का कुल गन्ना क्षेत्रफल 60 हजार 135 हेक्टेयर दर्ज किया गया। यह एक साल पहले के मुकाबले 13 हजार 960 हेक्टेयर कम है। जिले की चार चीनी मिल समितियों के तहत जहां 52 हजार 633 हेक्टेयर क्षेत्रफल में गन्ने का रकबा है, वहीं ऐरा, खम्भारखेड़ा, कुंदरखी, बलरामपुर व रौजागांव मिलों के तहत 7,502 हेक्टेयर क्षेत्रफल में गन्ना बोया गया है।


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