मक्का की सहफसली खेती से बढ़ाएं कमाई
बहराइच : मक्का खरीफ की अनाज वाली फसलों में सबसे महत्वपूर्ण फसल है। प्रतिदिन प्रति हेक्टेयर उत्पादन क
बहराइच : मक्का खरीफ की अनाज वाली फसलों में सबसे महत्वपूर्ण फसल है। प्रतिदिन प्रति हेक्टेयर उत्पादन के लिहाज से इसके आस पास कोई दूसरी फसल नहीं है। मानसूनी बारिश थमने के बाद किसान खाली खेतों में अब भी मक्का की उपयुक्त प्रजातियों की बोआई कर अच्छी कमाई कर सकते हैं।
मक्के की सभी प्रजातियां 80 से 100 दिन की अवधि में पक जाती हैं। जिससे आगामी रबी सीजन में दलहन व तिलहन की खेती आसानी से की जा सकती है। मक्का के लिए हल्की दोमट से लेकर बलुई दोमट भूमि जलनिकास वाली जमीन जिसमें वायुसंचार आसानी से हो सके, मक्के की खेती के लिए उपयुक्त है। मक्का का उत्पादन उसकी प्रजाति व किस्म के ऊपर काफी हद तक निर्भर करता है। बीते सालों में विश्वविद्यालयों तथा प्राइवेट बीज कंपिनयों द्वारा कई उन्नतशील किस्मो का विकास किया गया है। इनसे मक्के का औसत उत्पादन प्रतिहेक्टेयर 65 से 70 ¨क्वटल तक प्राप्त हो सकता है। संकुल प्रजातियों से 30 से 35 ¨क्वटल प्रति हेक्टेयर की उपज प्राप्त हो सकती है।
उर्वरक प्रबंधन : मक्का की फसल से कम समयावधि में अधिक उत्पादन होता है। इसलिए रासायनिक उर्वरकों के साथ देशी या कंपोस्ट खाद का प्रयोग करना चाहिए। 150 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किग्रा फास्फोरस, 60 किग्रा पोटाश, 24 किग्रा ¨जक उर्वरक का प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें। देशी खाद 150 ¨क्वटल प्रति हेक्टेयर फसल बोआई से 15 दिन पूर्व डालें। नाइट्रोजन की एक चौथाई मात्रा, फास्फोरस पोटाश ¨जक की पूरी मात्रा बोआई के समय लाइनों में दे देनी चाहिए। शेष नाइट्रोजन को दो भागों में पहली मात्रा 20 दिन बाद, दूसरी 50 से 55 दिन बाद टाप ड्रे¨सग के रूप में दे देनी चाहिए।
सहफसली खेती से बढ़ाएं आय : फसल अनुसंधान केंद्र प्रभारी डॉ.एमबी ¨सह ने बताया कि मक्के की फसल के साथ किसान सहफसली खेती कर आय में बढ़ोत्तरी कर सकते हैं। लाइनों में बोई गई इस फसल के साथ मूंगफली, ऊड़द, मूंग की खेती सफलतापूर्व की जा सकती है।
उन्नतशील प्रजातियां
संकर प्रजातियां- एमएम 7705, एमएम 849,एमएम 1107, एचक्यूपीएम 5, पूषा संकर मक्का 5, 91044, 1303, सरताज आदि।
संकुल प्रजातियां - प्रभाति, नवज्योति, पूषा कंपोजिट-2, श्वेता सफेद, नवीन, आजाद, उत्तम, प्रगति, गौरव, कंचन, सूर्य आदि