डाक्टरों का अकाल, अस्पताल बदहाल
बहराइच : कैसरगंज के ग्राम जमल्दीपुर में स्थित राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय में चिकित्सकों का टोटा
बहराइच : कैसरगंज के ग्राम जमल्दीपुर में स्थित राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय में
चिकित्सकों का टोटा है। दवाएं भी नहीं हैं। सिर्फ एक फार्मासिस्ट की तैनाती है। जर्जर भवन, टूटी छत के नीचे बैठ कर स्वास्थ्य कर्मी आने वाले मरीजों का इलाज कैसे करते होंगे, इसका आप अंदाजा लगा सकते हैं।
कोनारी ग्राम पंचायत के जमल्दीपुर के पंचायत भवन में आयुर्वेदिक चिकित्सालय चल रहा है। पूर्व प्रधान कोनारी व क्षेत्रीय नागरिकों के प्रयास से मार्च 1998 में यह अस्पताल खोला गया था। इसमें क्षेत्रीय आयुर्वेदिक यूनानी अधिकारी डॉ.श्याम किशोर उपाध्याय का भी अहम रोल रहा। चार शैय्या वाला अस्पताल होने के बावजूद भी यहां रात के समय मरीज नहीं रहते हैं। चहरदीवारी न होने से पशुओं का जमावड़ा परिसर में लगा रहता है। भवन जर्जर हालत में है। शौचालय की व्यवस्था नहीं है। एक फार्मासिस्ट गिरधारी लाल विश्वकर्मा की तैनाती है। वर्तमान समय में यहां कोई चिकित्सक तैनात नहीं है। दवाइयों के नाम पर चूरन-चटनी ही उपलब्ध है। स्टाफ की कमी से आम जनता को आयुर्वेदिक का लाभ नहीं मिल पा रहा है। जमल्दीपुर के रघुराज प्रसाद वर्मा कहते हैं कि यहां चिकित्सक की तैनाती जरूरी है। अवस्थीपुरवा के डॉ.पंकज शुक्ल बताते हैं कि अब लोगों का आयुर्वेद के प्रति झुकाव बढ़ रहा है। ऐसे में राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय में चिकित्सक की तैनाती न होना शासन-प्रशासन की उदासीनता का परिचायक है। पूर्व ग्राम प्रधान कौशलेंद्र चौधरी बताते हैं कि चिकित्सालय का भवन जर्जर हो गया है। इसकी मरम्मत की आवश्यकता है। अधिवक्ता अशोक कुमार ¨सह व जितेंद्र शुक्ला का कहना है कि आयुर्वेदिक चिकित्सालय अपना अस्तित्व खोता जा रहा है। सोनारी के प्रदीप श्रीवास्तव व अनिल अवस्थी का कहना है कि आयुर्वेदिक चिकित्सालय में चिकित्सक की तैनाती न होने से आसपास के लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया नहीं हो पा रहा है।