बदहाल सचिवालय तो कैसे बने बेहतर योजनाएं
बहराइच : गांव-गांव बनाए गए पंचायत भवन रखरखाव के अभाव में जर्जर हो गए हैं। इन भवनों से चहल-पहल गायब
बहराइच : गांव-गांव बनाए गए पंचायत भवन रखरखाव के अभाव में जर्जर हो गए हैं। इन भवनों से चहल-पहल गायब है। यहां आने के बजाय ग्राम प्रधान घर पर ही कामकाज निपटाने को मजबूर हैं। विकास खंड रिसिया में 25 ग्राम सचिवालयों का निर्माण कराया गया है।
वर्ष 2009-10 में सात, 2010-11 में 12 और 2011-12 में छह सचिवालय का निर्माण कराया गया। करीब 12 से 15 लाख की लागत से बनने वाले यह ग्राम सचिवालय खंडहर में तब्दील होते जा रहे हैं। अब न तो यहां बैठकें होती हैं और न ही ग्राम स्तर का कोई कर्मी रहता है। ग्राम सभा की बैठकें अब प्रधान की चौखट तक सीमित हो गयी हैं। क्षेत्र के समग्र ग्राम नर¨सहडीहा में बना सचिवालय खंडहर में बदल चुका है। भवन की खिड़की दरवाजे टूट चुके हैं तो चहारदीवारी धराशायी हो चुकी है। शौचालय का बुरा हाल है तो हैंडपंप का हत्था ही गायब है। सचिवालय में घुमंतू परिवारों का डेरा है। कुछ ऐसी ही तस्वीर ऐलासपुर अगैय्या ग्राम सचिवालय की है, जो सरकार के पैसे से गांवों को हाईटेक बनाने के सपनों के चूर-चूर होने की झलक दिखा रही है। खंडहर में तब्दील हो चुके ग्राम सचिवालयों में कभी ग्रामीणों की आहट ही नहीं सुनायी दी। अधिकांश ग्राम सचिवालयों का यही हाल है। कहीं पुआल का डेरा तो कहीं गोबर के कंडों की थाप। ऐसे में शासन की गांवो को हाईटेक बनाने की मंशा औंधे मुंह गिर गयी और ग्रामीण अभिलेख और जानकारियों के लिए ब्लॉक मुख्यालय का चक्कर काट रहे हैं।
परिवार रजिस्टर की नकल, पेंशन योजना सहित अन्य योजनाओं की जानकारी ग्रामीणों को सहजता से एक ही छत के नीचे मिल पाती, लेकिन जिम्मेदारों की सेहत पर कोई असर नहीं है। खंड विकास अधिकारी शोभनाथ चौरसिया का कहना है कि उन्हें इसकी जानकारी नही है। यदि हालात ऐसे हैं तो मामले की जांच होगी।