जिले में लक्ष्य के पार पहुंची धान खरीद
बहराइच : खरीफ सीजन में मानसून की बेरुखी के बावजूद धान की खरीद लक्ष्य के पार पहुंच गई है। खाद्य विपणन
बहराइच : खरीफ सीजन में मानसून की बेरुखी के बावजूद धान की खरीद लक्ष्य के पार पहुंच गई है। खाद्य विपणन विभाग क्रय केंद्रों के माध्यम से अब तक किसानों से 52 हजार मीट्रिक टन के लक्ष्य से अधिक खरीद कर चुका है। अभी खरीद सीजन समाप्त होने में 21 दिनों का समय शेष है।
एक नवंबर 2015 से शुरू हुए धान क्रय केंद्रों का संचालन 28 फरवरी 2016 तक होना है। प्रारंभ में धान खरीद के लिए 63 क्रय केंद्र बनाए गए थे। बाद में 59 क्रय केंद्रों का संचालन अब तक किया जा रहा है। चार फरवरी तक किसानों से लक्ष्य 52,500 मीट्रिक टन के सापेक्ष 55,829 मीट्रिक टन धान खरीद की जा चुकी है। यह निर्धारित लक्ष्य का तकरीबन 106 फीसदी है। क्रय केंद्रों के समय समाप्ति की सीमा को देखते हुए अभी इसमें और बढ़ोत्तरी होने की संभावना है। धान खरीद के लिए नामित की गई सात संस्थाओं में खाद्य विभाग ने 9,283 मीट्रिक टन, पीसीएफ ने 33,295 मीट्रिक टन, यूपी एग्रो ने 450 मीट्रिक टन, यूपीएसएस ने 4,563 मीट्रिक टन धान खरीद की है। एनसीसीएफ ने 4,930, नैकाफ ने 1670 व भारतीय खाद्य निगम ने 1636 मीट्रिक धान किसानों से खरीदा है।
मानकों में ढील के बाद आई तेजी
पूर्व में धान खरीद केंद्रों के संचालन की शुरुआत के समय डैमेज में छूट अधिकतम पांच प्रतिशत मान्य थी। इसके चलते कई किसान धान क्रय केंद्रों पर नहीं बेच पा रहे थे। केंद्र सरकार द्वारा बाद में डैमेज में छूट सीमा बढ़ा कर सात प्रतिशत कर दिए जाने के बाद खरीद में तेजी आई है। जिला खाद्य विपणन अधिकारी कमलेश कुमार पांडेय ने बताया कि क्रय एजेंसियों के माध्यम से लक्ष्य से अधिक धान खरीदा जा चुका है। अब भी क्रय केंद्रों पर धान खरीद की जा रही है।
पूरा किया गया भुगतान
खरीफ सीजन में किसानों से खरीदे गए धान का भुगतान भी पूरा किया जा चुका है। खाद्य विपणन अधिकारी ने बताया कि किसानों से 80.50 करोड़ रुपये का धान खरीदा गया है। इसका पूरा भुगतान आरटीजीएस के माध्यम से किसानों के बैंक खाते में किया जा चुका है।
नहीं हुआ क्रय केंद्रो का सुचारू संचालन
विभाग द्वारा बताई गई धान की खरीद को किसान नेताओं ने कागजों में हुई खरीद बताया है। भाकियू जिलाध्यक्ष ओमप्रकाश वर्मा ने बताया कि पूरे सत्र में धान खरीद केंद्रों का संचालन सुचारू रूप से नहीं हुआ है। कई किसानों को अपनी उपज औने पौने दामों में बेचनी पड़ी। ऐसे में विभागीय लक्ष्य पूर्ति समझ से परे है।