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चिकित्सकों की कमी से मरीजों को इलाज के लाले

बहराइच : सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर सरकारी चिकित्सकों की कमी के कारण लोगों को सही इलाज की सुविधा

By Edited By: Published: Fri, 05 Feb 2016 11:40 PM (IST)Updated: Fri, 05 Feb 2016 11:40 PM (IST)
चिकित्सकों की कमी से मरीजों को इलाज के लाले

बहराइच : सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर सरकारी चिकित्सकों की कमी के कारण लोगों को सही इलाज की सुविधा नहीं मिल पा रही है। पहुंचकट्टा गांव में बनी सीएचसी में न पर्याप्त डॉक्टर हैं और न ही जीवन रक्षक दवाएं। पर पानी टंकी तो बनी है, लेकिन उसके ऊपर जाली लगी होने से और सफाई होने से कुछ आवासों में पानी तो आपूर्ति तो होती है मगर पीने लायक नहीं।

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सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चार

चिकित्सकों के बल पर संचालित हो रहा है। अधीक्षक डॉ. रणजीत ¨सह ने बताया कि डॉ. पंकज मौर्या, डॉ. ओपी पाठक, आयुष चिकित्सक महिला डॉ. गुंजन सारस्वत तैनात है। सामुदायिक केंद्र पर दंत चिकित्सक, नेत्र चिकित्सक, महिला रोग विशेषज्ञ एवं एक सर्जन की जरूरत है। सामुदायिक केंद्र पर छह नर्सें पूजा ¨सह, रोली ¨सह, लता पाण्डेय, अंजू श्रीवास्तव, मीनाक्षी, शैरुल निशां प्रसव कार्य देखते हैं। पानी टंकी तो बनी है लेकिन उसके ऊपर जाली न लगी होने और साफ-सफाई न होने से कुछ आवासों में गंदे पानी की आपूर्ति हो रही है। कुछ आवासों में पाइपलाइन लगी है, लेकिन पानी नहीं पहुंच रहा है, जिसकी शिकायत जिले के मुख्य चिकित्साधिकारी को दी गई, लेकिन अभी तक किसी का ध्यान नहीं गया। इंडिया मार्का-टू हैंडपंप पूरे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर एक ही लगा है। कम से कम तीन नलों की जरूरत है। करोड़ों की लागत से तीस बेडों का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया, जहां पर मात्र छह बेड लगे हैं। फार्मेसिस्ट राजेंद्र प्रसाद श्रीवास्तव, शैलेंद्र दुबे व चीफ फार्मासिस्ट अनिल मिश्र ने बताया कि आवश्यक दवाइयां मौजूद हैं।

घायलों का नहीं हो पाता इलाज

-जलालपुर निवासी ने बताया कि दुर्घटनाग्रस्त घायलों को इलाज सही ढंग से न हो पाने की वजह से बहराइच जिला चिकित्सालय जान पड़ता है।

नहीं मिल पाती जांच की सुविधा

-पैथालोजी व अल्ट्रासाउंड जांच न हो पाने की वजह से प्राइवेट पैथालोजी पर जाकर जांच कराना पड़ता है। पैथालोजी में जांच मात्र मलेरिया व टीबी की हो पाती है। अल्ट्रासाउंड, एक्सरे आदि किसी भी प्रकार की मशीनें उपलब्ध नहीं है, जिससे मरीजों को जांच के लिए बाहर जाना पड़ता है। एलटी कैलाशनाथ द्विवेदी व रमण ¨सह द्वारा इसकी शिकायत मुख्य चिकित्साधिकारी से लिखित रूप में की जा चुकी है।

बेड व बैठने की बेंच नदारद

-एक थ्री सीटर बेंच है, वह भी टूटने की वजह से ईटों पर रखी हुई है। करोड़ों की लागत से तीस बेडों का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया, जहां पर मात्र छह बेड ही पाए गए। बेडों सचादर नदारद है। सामुदायिक केंद्र पर सफाईकर्मी मात्र अकेला मोहित है, जबकि सफाईकर्मी दो होने चाहिए। मरीजों के बैठने की व्यवस्था नहीं है।

क्या कहते लोग

-जलालपुर के उमेश कुमार दुबे ने बताया की अधीक्षक रणजीत ¨सह, डॉ पंकज मौर्या रात्रि निवास करते हैं,

शेष कोई नहीं रुकता। आलोक कुमार दुबे ने बताया की प्रसव कराने वाली महिलाओं को मीनू के हिसाब से पैष्टिक आहार नहीं उपलब्ध कराया जाता है। मन्नेताद निवासी पूर्व बीडीसी पुत्ती गोस्वामी ने बताया की सीएचसी पर घंटों भटकने पर ही इलाज संभव हो पाता है। पहुंचकट्टा के त्रिभुगी पाण्डेय ने बताया कि पैथालोजी व अल्ट्रा साउंड जांच न हो पाने की वजह से प्राइवेट पैथालोजी पर जाकर जांच कराना पड़ता है। विशेश्वरगंज निवासी बकरीदी खान ने बताया यहां कमियां सरकार के दावों का पोल खोल रही हैं।


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