आखिर इसके लिए कौन जिम्मेदार?
बहराइच : पावन सलिला सरयू नदी के तट गंदगी और जलकुंभी से पटे हैं। पर्यावरण और नदी से प्रेम करने वाले ल
बहराइच : पावन सलिला सरयू नदी के तट गंदगी और जलकुंभी से पटे हैं। पर्यावरण और नदी से प्रेम करने वाले लंबरदार इसके साफ-सफाई के लिए आवाज जरूर उठाते हैं, लेकिन यह कैसे साफ हो, इसके लिए समाज के भीतर से चेतना जगाने के लिए वे शिथिल हैं? सरयू नदी के जल का आलम ऐसा है कि यह आचमन के योग्य नहीं रहा।
नदियों के मुंहाने जहां शहर के गंदगी के नालों से दूषित हो रहे हैं। वहीं नदियों के छोरों पर कपड़े साफ करने वाले धोबी भी कम चुनौती नहीं दे रहे हैं। गत दिनों गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन ¨झगहाघाट स्थित सरयू तट पर हुआ। बड़ी संख्या में मूर्तियां यहां विसर्जित की गई। नदी में इसके अवशेष अब भी मौजूद हैं। जल दूषित होने के पीछे यह भी कम कारक नहीं है। नईबस्ती अकबरपुरा निवासी धीरेंद्र पाठक कहते हैं कि नदियों को स्वच्छ रखने का दारोमदार सामूहिक है। इसके लिए सभी को पहल करने की आवश्यकता है। कार्यक्रम चाहे धार्मिक हों या गैर धार्मिक। नदियों को साफ रखने में इन आयोजकों का योगदान भी होना चाहिए। सफाई को लेकर दारोमदार सिर्फ प्रशासन के कंधों तक सीमित रह जाता है। यह विकसित भावना भी नदियों की सफाई को लेकर आड़े आ रही है।