पंचायत भवन में चल रहे राजकीय पशु चिकित्सालय
बहराइच : घाघरा के कछार के पशुओं की सेहत का जिम्मा संभाल रहे राजकीय पशु चिकित्सालय बदहाली के भवंर से
बहराइच : घाघरा के कछार के पशुओं की सेहत का जिम्मा संभाल रहे राजकीय पशु चिकित्सालय बदहाली के भवंर से उबर ही नहीं पा रहे हैं, ऐसे में उनसे पशुओं को रोगमुक्त करने की उम्मीद ही बेमानी है। यहां न दवाओं के भंडारण की समुचित व्यवस्था है और न ही अन्य संशाधन। चिकित्सकों को आवासीय सुविधा तो दूर बैठने की जगह भी सही ढंग से मयस्सर नहीं है। सिलौटा व भगवानपुर के पशु चिकित्सालय वर्षो से पंचायत भवन के कमरे में संचालित हो रहे हैं। सिलौटा में स्थित राजकीय पशु चिकित्सालय भवन एक दशक पूर्व घाघरा की विनाशकारी लहरों में समा गया था। तब से यह बौण्डी स्थित पंचायत भवन के एक कमरे में संचालित हो रहा है। दवाओं के भंडारण व चिकित्सक के बैठने की व्यवस्था बस एक ही कमरे में सिमटी है। पशुओं को बांधने के लिए टीनशेड तक की व्यवस्था नहीं है। दर्जनों गांवों के पशुओं के सेहत का जिम्मा संभालने वाला यह अस्पताल अपनी तकदीर संवरने की राह देख रहा है। वर्ष 1992 में राजकीय पशु चिकित्सालय भगवानपुर की स्थापना की गई थी। स्थापना के बाद यह चिकित्सालय कुछ दिनों तक हरदी स्थित एक निजी भवन में किराए पर चला। भवन जर्जर होने की वजह से उसे वहां से हटाना पड़ा। एक दशक से यह चिकित्सालय भी हरदी स्थित पंचायत भवन में संचालित हो रहा है। इस चिकित्सालय के अन्तर्गत न्याय पंचायत नथुवापुर, मुंसारी, एरिया के 20 से अधिक गांवों के पशुओं के इलाज व टीकाकरण की जिम्मेदारी है। यहां दूर-दूर से पशुपालक अपने पशुओं का इलाज कराने के लिए आते हैं। जाड़ा, बरसात या चिलचिलाती धूप पशुओं को बांधने के लिए टीनशेड की व्यवस्था तक नहीं है। चिकित्सक पेड़ के नीचे पशुओं का इलाज करने को विवश हैं। भगवानपुर के पशु चिकित्सक डॉ. आरपी सचान का कहना है कि भवन निर्माण के लिए जमीन नहीं मिल रही है। जमीन की उपलब्धता के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। उच्चाधिकारियों से पत्राचार किया जा रहा है।