उपकरण खराब, हाकिम छुट्टी पर, कैसे पता चले धरती की धड़कन
मुकेश कुमार, बहराइच अगर भूकंप के झटकों ने आज तबाही न मचाई होती तो बहराइच स्थित भूकंप वेधशाला की हक
मुकेश कुमार, बहराइच
अगर भूकंप के झटकों ने आज तबाही न मचाई होती तो बहराइच स्थित भूकंप वेधशाला की हकीकत भी बेपर्दा न होती। जिस वक्त भूकंप आया, उस वक्त वेधशाला में ताला लगा था और भीतर रखे भूकंप की तीव्रता मापने का यंत्र 'सीस्मोग्राफ' खराब था। यही नहीं वेधशाला के प्रभारी सहायक वैज्ञानिक अमरेशपुरी भी अवकाश पर थे।
लगभग दो दशक पूर्व बहराइच जेल मार्ग पर मक्कापुर में लाखों रुपये कीमत से भूकंप वेधशाला का निर्माण कराया गया था। यहां चंडीगढ़ में निर्मित सीस्मोग्राफ नामक यंत्र सहित धरती की धड़कन नापने के कई यंत्र लगे थे। यह यंत्र अब भी लगे हैं, लेकिन उनमें जुम्बिस नहीं होती। भूकंप आने के बाद उसकी तीव्रता और बहराइच से उसके केंद्र की दूरी जानने के लिए जागरण ने भूकंप वेधशाला का रुख किया तो वहां लगा ताला इस केंद्र को लेकर सरकारी तंत्र की उदासीनता बयां कर रहा था। 'दूरभाष' पर केंद्र प्रभारी एवं सहायक वैज्ञानिक अमरेशपुरी से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि वे शनिवार तक छुट्टी पर हैं। सोमवार को आएंगे। उनकी तैनाती यहां आठ माह पहले हुई है। उसी समय से सीस्मोग्राफ नामक उपकरण खराब है। इससे रिएक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता मापी नहीं जा सकी। उन्होंने बताया कि इस संबंध में उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा जा चुका है। वे बताते हैं यह ऐसा उपकरण है, जिसकी मरम्मत आसानी से नहीं हो पाती। इसे केवल बदला जा सकता है। चंडीगढ़ में यह उपकरण पहले बनता था, लेकिन अब बनना बंद हो गया है।
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दो माह में बन जाएगा ऑटोमैटिक स्टेशन
-वेधशाला प्रभारी का कहना है कि यहां ऑटोमैटिक स्टेशन का निर्माण हो रहा है। वीसेट व बैट्री लगाई जा चुकी है। कुछ उपकरण आ चुके हैं। डिजिटल सीस्मोग्राफ का आना बाकी है। अगले दो माह में यह उपकरण आधुनिक संसाधनों से लैस होकर काम करने लगेगा। उन्होंने बताया कि इससे डॉटा दिल्ली भेजा जाएगा और वहां से डॉटा अपडेट होगा। उनके मुताबिक केवल एक स्टेशन से भूकंप संबंधी विश्वनीय जानकारी नहीं मिल सकती है। इसके लिए पांच स्टेशनों के डॉटा का मिलान कर जानकारी अपडेट की जाती है।