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एक और किसान की थमीं धड़कन

बहराइच : विशेश्वरगंज के बाद महसी तहसील क्षेत्र के गुजौली खुर्द निवासी एक और किसान की धड़कन थम गई। परि

By Edited By: Published: Fri, 24 Apr 2015 12:16 AM (IST)Updated: Fri, 24 Apr 2015 12:16 AM (IST)
एक और किसान की थमीं धड़कन

बहराइच : विशेश्वरगंज के बाद महसी तहसील क्षेत्र के गुजौली खुर्द निवासी एक और किसान की धड़कन थम गई। परिजनों का कहना है कि धनिया की फसल के कम उत्पादन को लेकर वह अवसादग्रस्त था। घटना के बाद गांव में सन्नाटा छा गया। सूचना पाकर राजस्व अमला मौके पर पहुंचा। परिजनों ने शव का पोस्टमार्टम कराए जाने से इंकार कर दिया। तहसीलदार ने हरसंभव मदद का आश्वासन दिया।

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तहसील क्षेत्र के गुजौलीखुर्द निवासी जुग्गीलाल (38) पुत्र परमेश्वर की अचानक मौत हो गई। परिजनों ने बताया कि मृतक के पास कुल साढ़े तीन बीघा जमीन थी। ढाई बीघे में उसने धनिया व एक बीघा में गेंहू की फसल लगा रखी थी। बेमौसम बारिश व तूफान के चलते फसल चौपट हो गई थी। परिजनों का कहना है कि साढ़े तीन बीघे में कुल एक ¨क्वटल दस किलोग्राम धनिया हुई थी। जिसे लेकर वह काफी ¨चतित था। परिजनों का यह भी कहना है कि जुग्गीलाल ने अच्छी पैदावार व बेहतर धनिया के उत्पादन के लिए लोगों से कर्ज खेत में लगाया था। लागत के हिसाब से उसको उत्पादन नहीं मिल सका। उसने गांव के कई लोगों से अपनी व्यथा भी सुनाई थी। मृतक के भाई रमेश ने बताया कि जुग्गीलाल की अचानक बियत बिगड़ी और चंद पलों में दमतोड़ दिया। घटना को सुनकर लोग सन्न रह गए। घर में मातम छा गया। सूचना पाकर तहसीलदार जमाल अहमद सिद्दीकी, नायब तहसीलदार हरिश्चंद्र, क्षेत्रीय लेखपाल वंशराज यादव, एसआई राजेश तिवारी, कांस्टेबल जितेन्द्र ¨सह, इनरमल यादव, जगदीश प्रसाद आर्य मौके पर पहुंचे।

दिलाई जाएगी हरसंभव मदद

महसी : तहसीलदार जमाल अहमद सिददीकी ने बताया कि परिजनों को मृतम का पोस्टमार्टम कराए जाने को लेकर समझाया गया परन्तु वह नहीं माने। इसके बावजूद भी जांच कराई जा रही है। हरसंभव मदद दिलाया जाएगा।

परदेश में हैं दो लड़के

मृतक अपने पीछे अपनी पत्नी रामावती उर्फ जुगरा (35), बेटे नीरज (17), श्यामू (13) व सात वर्षीय रोहित को अपने पीछे छोड़ गया। नीरज व श्यामू रोजी-रोटी के लिए करीब 25 दिन पूर्व परदेश गए थे। घटना की सूचना परिजनों ने दोनों बेटों को दी है। गुरुवार की देर शाम तक वह घर नहीं पहुंच सके थे। उन्हें क्या पता था कि जब वह वापस लौटेंगे तो उनके सिर से पिता का साया छिन चुका होगा।

गेंहू की अभी तक नहीं हुई कटाई

आजीविका के लिए मृतक जुग्गीलाल ने अपने साढ़े तीन खेत में से एक बीघा गेंहू बो रखा था। फसल को बेमौसम बारिश ने तबाह किया। बची-खुची गेंहू की फसल वह अब भी नहीं समेट पाया था। फसल अभी भी खेत में खड़ी है।


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