नशे की लत ने बना दिया एचआइवी पॉजिटिव
संतोष श्रीवास्तव, बहराइच जिला अस्पताल में स्थापित ओएसटी सेंटर (ओपियार्ड सबस्ट्यूशन थेरेपी सेंटर) क
संतोष श्रीवास्तव, बहराइच
जिला अस्पताल में स्थापित ओएसटी सेंटर (ओपियार्ड सबस्ट्यूशन थेरेपी सेंटर) की जांच के खुलासे ने नशामुक्ति के लिए चलाए जा रहे अभियानों के दावों की हवा निकाल दी है। अब तक जिन नशेड़ियों की जांच हो चुकी है, उनमें दस फीसद लोग एचआइवी पॉजिटिव पाए गए हैं।
नेपाल से सटे जिले नशीले पदार्थो के अवैध कारोबार के गढ़ के रूप में तब्दील होते जा रहे हैं। तस्कर अक्सर खुली सीमा का फायदा उठाकर कैरियर के जरिए चरस, अफीम, गांजा सहित अन्य नशीले पदार्थो की बहराइच, बलरामपुर, लखीमपुर और श्रावस्ती जैसे सीमावर्ती जिले में बड़े पैमाने पर आपूर्ति कर रहे हैं। यहां के स्थानीय लोगों को नशीला पदार्थ सस्ते और आसानी से उपलब्ध हो जाता है फलस्वरूप इन क्षेत्रों की अच्छी खासी आबादी नशे के दलदल में उतरती जा रही है। समय से इलाज न हो पाने पर नशेड़ी एड्स जैसी लाइलाज बीमारी का शिकार बन रहे हैं। ओएसटी सेंटर की जांच के दौरान 140 में से 14 नशेड़ियों के एचआइवी पॉजिटिव पाए जाने की पुष्टि हुई है। रिपोर्ट की मानें तो जिले में लाखों रुपये खर्च कर चलाए जा रहे जागरूकता अभियान की हवा निकल गई है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार एड्स व नशामुक्ति को लेकर राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण सोसाइटी समेत कई स्वयंसेवी संस्थाओं का सहयोग भी लिया जा रहा है। इन पर लाखों रुपये पानी की तरह बहाया जा रहा है।
नहीं मिलती निश्शुल्क निडिल व सि¨रज : राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण सोसाइटी की ओर से चिह्नित किए गए नशेड़ियों को नशामुक्ति के लिए निश्शुल्क निडिल व सिरिंज देने की भी व्यवस्था है, जिससे लोग अलग-अलग सि¨रज का प्रयोग करें। नशे से पीड़ित मरीज जब इलाज कराने अस्पताल पहुंचते हैं तो इसका लाभ उन्हें नहीं मिलता है।
इस तरह होता है असर
- नशे में होश का खोना
- मानसिक संतुलन का बिगड़ना
-मन में उग्र होने के विचार पनपना
-दर्द, संवेदना व सजगता की कमी
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नशे की गिरफ्त में फंसे लोगों को छुटकारा दिलाने का हरसंभव प्रयास किया जा रहा है। ओएसटी सेंटर ने जांच में एचआइवी पीड़ितों की जो संख्या बताई गई है, उसकी सूचना नार्को को भेजी गई है।
-डॉ.डीके ¨सह, सीएमएस
मादक पदार्थों के न मिलने पर नशेड़ी कुछ दवाओं का अधिक पैमाने पर प्रयोग करते हैं। अधिकांश लोग नशे का इंजेक्शन लगाते हैं। एक ही इंजेक्शन का इस्तेमाल कई नशेड़ी करते हैं, जिससे उनमें एचआइवी पॉजिटिव की संख्या बढ़ने की आशंका बनी रहती है।
-डॉ.आरबी ¨सह, वरिष्ठ फिजीशियन जिला चिकित्सालय