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कतर्नियाघाट फ्रेंड्स क्लब ने जलाई जागरूकता की मशाल

बहराइच : कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग की प्राकृतिक काया बनी रहे, इसे लेकर भगवानदास लखमानी ने पहला कदम

By Edited By: Published: Fri, 23 Jan 2015 09:09 PM (IST)Updated: Fri, 23 Jan 2015 09:09 PM (IST)
कतर्नियाघाट फ्रेंड्स क्लब ने जलाई जागरूकता की मशाल

बहराइच : कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग की प्राकृतिक काया बनी रहे, इसे लेकर भगवानदास लखमानी ने पहला कदम आगे बढ़ाया तो लोग उनके साथ जुड़ते चले गए। एक दशक पहले प्राकृतिक वन प्रभाग के नाम पर ही उन्होंने कतर्नियाघाट फ्रेंड्स क्लब का गठन किया। पौधरोपण, वन्यजीवों के संरक्षण, वन बचाव के लिए ग्रामीणों की सहभागिता व यातायात जागरुकता अभियान में क्लब की कदमताल बराबर बनी हुई है। वन्यजीवों के हमले में पीड़ित परिवार के सदस्यों को मदद देने में भी यह पीछे नहीं रहते।

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कतर्नियाघाट फ्रेंड्स क्लब का गठन वर्ष 2005 में लखमानी ने किया। वे कहते हैं कि वन्यजीवों के प्रति प्रेम ने उन्हें एक करने के लिए प्रेरित किया। पहले शुरुआत में चंद लोग ही जुड़े़, बाद में लोग स्वत: ही जुड़ने के लिए चले आए। क्लब अपना कार्य सहयोगियों के ही आर्थिक सहयोग से संचालित करता है। लखमानी बताते हैं कि सड़क दुर्घटनाओं में वन्यजीवों के जान गंवाने से वह आहत हैं। इसके लिए वे नियमित रूप से प्रतिमाह सड़क जागरुकता अभियान जंगल के अलग-अलग मार्गों पर चलाते हैं। वन विभाग की शिथिल कार्यशैली पर भी वे तंज कसने से पीछे नहीं रहते।

प्रतिवर्ष जुलाई माह में पौधरोपण अभियान में सदस्य निरंतर प्रतिभाग करते हैं और पौधरोपण के लिए वन क्षेत्र के ग्रामीणों को आगे आने के लिए जागरूक करते हैं। यही नहीं जंगल में बसे ग्रामीण वन्यजीवों से कैसे बचें और वन्यजीवों को नुकसान न हो? इसके लिए उन्हें एहतियात बरतने के उपाय बताए जाते हैं। विभाग में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कर्मियों की हौसलाआफजाई में क्लब के सदस्य पीछे नहीं रहते। क्लब एक अक्टूबर से सात अक्टूबर तक हर वर्ष वन्यप्राणि सप्ताह के तहत सहयोग में बढ़-चढ़कर प्रतिभाग करता है। स्कूलों में बच्चों को वन और वन्यजीवों के महत्व पर प्रतियोगिताओं का भी आयोजन करता है। लखमानी कहते हैं कि ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन से नई पीढ़ी इसके प्रति जागरुक हो रही है और वन्यजीवों की महत्ता को समझ रही है। यही नहीं जंगल में वन्यजीवों के हमले में जान गंवाने वाले परिवार के सदस्यों को वे आर्थिक सहयोग करने में पीछे नहीं हैं। लखमानी ने बताया कि उनका सपना है कि जल्द ही कतर्नियाघाट को राष्ट्रीय पार्क का दर्जा मिले, जिससे इसमें वन और वन्यजीवों की सुविधा के लिए अधिक कार्य हो सके।


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