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हर दस्तक पर दौड़ जाते हैं अपने..

बहराइच : -दरवाजे पर जब भी कोई आहट होती है तो मां को लगता है कि उसकी लाडली लौट आई है। हर दस्तक पर

By Edited By: Published: Thu, 16 Oct 2014 09:41 PM (IST)Updated: Thu, 16 Oct 2014 09:41 PM (IST)
हर दस्तक पर दौड़ जाते हैं अपने..

बहराइच :

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-दरवाजे पर जब भी कोई आहट होती है तो मां को लगता है कि उसकी लाडली लौट आई है। हर दस्तक पर वह बेटी की आने की चाह में द्वार तक दौड़ जाती हैं, लेकिन मायूस चेहरे के साथ आंखों में आंसू लेकर। फिर कमरे में आ जाती हैं। चेहरे पर उम्मीद की किरण तो नजर आ रही है, लेकिन दो साल पहले लापता हुई बेटी आज तक वापस नहीं आई। यह घटना देहात कोतवाली क्षेत्र के शिवनगर में रहने वाली रमान्ती देवी के परिवार की है। टेलीफोन विभाग में एसडीओ के पद से सेवानिवृत्त हुए सुदर्शन राय के जीने का सहारा बन चुकी थी निरुपमा राव। बाल शिक्षा निकेतन में नवीं की छात्रा रही निरुपमा अक्सर दादा के साथ अठखेलियां करते हुए पढ़ाई में भी अव्वल रहती थी। लापता हुए दो साल एक माह बीत चुका है, लेकिन उनकी आंखों में अपनी पौत्री के घर वापस आने की उम्मीद आज भी दिखाई पड़ रही है। आखों में आंसू और थरथराती आवाज के साथ भरे गले से पौत्री के अचानक गायब होने की दास्तां बयां करते-करते वह फफक पड़ते हैं। वे बताते हैं कि पटना, बिहार, बरेली, सीवान, लखनऊ, कानपुर, दिल्ली, हरियाणा, गुजरात सहित कई राज्यों में भी सूचना पाकर गये। लेकिन नाउम्मीद होकर लौटे। 65 साल की उम्र में वह पौत्री की तलाश में उम्मीद का दीया लेकर हर मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे और गिरजाघर जा चुके हैं। पुलिस का रोल महज तहरीर तक रहा। अब वह कहां है इसे ढूंढने में पुलिस की दिलचस्पी शायद नहीं है।

-दूसरा उदाहरण बीते कई दिनों से ग्यारह वर्षीय बेटे राजकुमार का है। पिता इंदर पुत्र राजकुमार की तलाश में दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। मामला रामगांव थाना क्षेत्र के गंभीरवा चौकी के भगवानपुर माफी गांव का है। बीते सोमवार को 11 वर्षीय बेटा घर के बाहर से अचानक लापता हो गया। बेटे की तलाश में वह रिश्तेदारों के यहां गये। हाथ कुछ नहीं लगा, सिवाय निराशा के। अंतत: गंभीरवा चौकी इंचार्ज को उन्होंने बेटे के गायब होने की तहरीर दी। पुलिसिया कार्रवाई बस प्रार्थना पत्र लेने तक ही सीमित रही। जब जिम्मेदार सतर्क व गंभीर न हुए तो वह स्वयं बेटे को शहर में तलाशते फिर रहे हैं।

सिर्फ यही नहीं, आठ वर्षीय इरशाद अली पुत्र शकील अली दरगाह शरीफ थाने के नूरूद्दीनचक का रहने वाला है। लगभग छह माह होने को है। लेकिन इरशाद का भी कोई अतापता पुलिस नहीं खोज पाई। मोतीपुर थाना क्षेत्र के 15 वर्षीय संजय पुत्र नकछेद निवासी कारीकोट हजारीपुरवा को गायब हुए तीन साल बीत चुका है। नानपारा कोतवाली के कुड़कुड़ी निवासी अशोक मौर्य का 16 वर्षीय पुत्र विकास भी चार साल से लापता है। यह चंद घटनाएं हैं जो उन्हीं के परिवारों की जुबानी हैं। अगर इन्हें बानगी माना जाय तो इस तरह की घटनाएं इक्का-दुक्का नहीं, जिले में कई दर्जन ऐसे परिवार होंगे, जिनके परिवारीजन आज भी भरे गले से गुमशुदा हुए बच्चों का जिक्र होते ही आंखे नम हो उठती हैं। गला भर्रा उठता है। बस परिवारीजनों की जुबां से यही आवाज उठती है कि कब आओगे तुम..।


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