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मानदेय मांगा तो मिली लाठियां

By Edited By: Published: Thu, 18 Sep 2014 11:15 PM (IST)Updated: Thu, 18 Sep 2014 11:15 PM (IST)
मानदेय मांगा तो मिली लाठियां

बहराइच : मानदेय व विनियमितीकरण की मांग को लेकर शांतिपूर्वक धरना दे रहे ग्राम रोजगार सेवकों को हक मांगने पर आज लाठियां मिलीं। पुलिस ने महिलाओं समेत सभी रोजगार सेवकों पर दौड़ा-दौड़ाकर लाठियां भांजी।

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गुरुवार को रोजगार सेवक अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत कलेक्ट्रेट धरना स्थल पर प्रदर्शन के लिए पहुंचे। शांतिपूर्वक धरने के बाद उन्होंने कलेक्ट्रेट के सामने राजकीय राजमार्ग जाम कर दिया। संघ के पदाधिकारियों की मांग थी कि अपर जिलाधिकारी उनका ज्ञापन लें। वहां मौजूद खुफिया अधिकारियों ने उनकी यह बात आला अधिकारियों तक पहुंचाई। पर वे नहीं आए। माहौल गरमाने लगा तो अफसरों ने कहा कि सीआरओ को बुलाया जा रहा है। इससे नाराज रोजगार सेवक सड़क पर बैठ गये। इसके बाद दलबल के साथ पुलिस मौके पर पहुंची। आरोप है कि जाम खुलवाने पहुंचे पुलिस के एक बड़े अधिकारी ने वहां मौजूद लोगों से अभद्रता शुरू कर दी और तत्काल जाम हटाने को कहा। जब तक रोजगार सेवक कुछ समझ पाते, पुलिस ने उनकी पिटाई शुरू कर दी। पुलिस के बल प्रयोग के बाद जाम लगाये बैठे रोजगार सेवक तितर बितर हो गये। प्रदर्शन कर रहीं कई महिला रोजगार सेवक चोटिल हो गई। आसपास के इलाकों को भी पुलिस ने जमकर खंगाला। जो मिला उसे लाठियां मिलीं। रोजगार सेवक मनरेगा के तहत उन्हें नियमित कर राज्य कर्मचारी का दर्जा देने सहित छह सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन बड़े अधिकारी को सौंपने को लेकर विवाद हुआ। धरने में वरिष्ठ महामंत्री अमरदीप शुक्ला, जिला सह संयोजक विद्याधर वाजपेई, सह संयोजक दीपक सिंह सेंगर, हसीबुर्रहमान, कृष्ण कुमार आर्या सहित कई महिला रोजगार सेवक मौजूद रहीं।

पुलिस का ये कैसा रूप

18 महीनों से रोजगार सेवकों को मानदेय नहीं मिला था। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार वे शांतिपूर्ण धरना दे रहे थे। आखिर क्या वजह बनी कि पुलिस अचानक अपना आपा खो बैठी। चित्र तस्दीक कर रहे हैं कि पुलिस ने न केवल रोजगार सेवकों की बेतहाशा पिटाई की बल्कि कालोनियों तक में लोगों को ढूंढ-ढूंढ कर पीटा। जो मिला उसे मिली पुलिस की लाठी। खोमचे वाले तक नहीं बख्शे गये। सरकारी कालोनी में पुलिस ने घुसकर ताण्डव किया। महिला रोजगार सेवकों को भी पुलिस ने नहीं बख्शा। उन पर भी लाठियां चलीं। 18 महीने से जिन्हें मानदेय नहीं मिला है तो क्या वे लोकतंत्र में अपनी मांग के लिए धरना नहीं दे सकते। एक अधिकारी से अपनी बात कहने की जिद पर अगर उन्हें जिम्मेदारों द्वारा लाठियों पर रखा गया तो व्यवस्था पर सवाल उठना लाजिमी है। आखिर पुलिस का ये कैसा रूप है?

मोबाइल तक छीने गये : पंकज

ग्राम रोजगार सेवक संघ के जिला अध्यक्ष पंकज मिश्रा ने बताया कि रोजगार सेवकों को बर्बरता से पीटा गया। हद यहीं तक खत्म नहीं हुई, मोबाइल तक छीन लिये गये। बाइक क्षतिग्रस्त कर दी गईं। महिला कर्मियों से अभद्रता की गई। आठ रोजगार सेवकों को गिरफ्तार किया गया है।


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