यूरिया की कालाबाजारी से किसान परेशान
पयागपुर(बहराइच) : बीते सप्ताह क्षेत्र में हुई बारिश के कारण सूखे की आशंका से सशंकित किसानों के चेहरों पर जो रौनक आई थी यूरिया की कालाबाजारी के कारण समाप्त हो रही है। सहकारी समितियों को कम आवंटन होने के कारण खुले बाजार में यूरिया के दाम आसमान छू रहे हैं। जिम्मेदार सब कुछ जानकर भी अंजान बने हैं।
बीते शुक्रवार व शनिवार को क्षेत्र में अच्छी बारिश के चलते फसलों पर सूखे का संकट तो टलता दिख रहा है, किन्तु रासायनिक उर्वरकों के आवंटन की गलत नीति के चलते कृषकों को निजी दुकानदार बनावटी किल्लत का भय दिखाकर मनमाना दाम वसूल कर रहे हैं। बताते चलें कि माह सितंबर में क्षेत्र की पड़री व खुटेहना सहकारी समिति को छोड़कर किसी सहकारी समिति को यूरिया का आवंटन नहीं किया गया। इन दोनों समितियों को मात्र 300-300 बोरी यूरिया आवंटित की गई जो 'ऊंट के मुंह में जीरा' के समान थी। इसका पूरा लाभ खुले बाजार के व्यापारी उठा रहे हैं। यूरिया का सरकारी मूल्य 348 प्रति बोरी (नीम कोटेड) व 334(सादी) खाद निर्धारित है। किन्तु खुले बाजार में कृत्रिम किल्लत बनाकर 450 रुपये बोरी तक यूरिया खरीदने को कृषक मजबूर हैं। क्षेत्र के कृषक वैनी निवासी केडी शुक्ला, राजनारायण शुक्ला, देवरिया के पवन तिवारी, खजुरी के शेषराज पांडेय, अर्जुनपुरवा के परमानंद तिवारी, ग्राम गुरचाही के महेंद्र कुमार, पयागपुर के अजय सिंह सहित दर्जनों कृषकों ने कहा कि सहकारी समितियों के बजाय खुले बाजार में आवंटन अधिक होने के कारण ही खाद की कालाबाजारी बढ़ी है।