भाग्य नहीं परिश्रम से मिलती है सफलता
बहराइच : ऐसे विद्यार्थी जो केवल भाग्य पर निर्भर रहते हैं, परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए पर्याप्त परिश्रम नहीं करते तथा असफल होने पर भाग्य को दोष देते हैं। वास्तविकता की धरातल पर नहीं होते कि उन्होंने सही दिशा में प्रयास नहीं किया। ऊंचे सपने देखना अच्छी बात है, परन्तु यह जानना जरूरी है कि मंजिल पाने के लिए यथेष्ठ प्रयास किया गया अथवा नहीं। बिना यथेष्ट प्रयास के मंजिल नहीं मिलती।
यह बातें मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र गोरखपुर के मंडलीय मनोवैज्ञानिक कविराज कुमार ने स्थानीय आर्य कन्या इंटर कॉलेज में विद्यार्थियों की काउंसलिंग के दौरान कही। उन्होंने कहा कि महत्वाकांक्षी होना अच्छी बात है, परन्तु अतिशय महत्वाकांक्षा मानव जीवन में कष्टकारी भी हो सकती है। समय प्रबंधन, सकारात्मक सोच, दृढ़इच्छाशक्ति से हम मंजिल पाने में सफल हो सकेंगे। मनोवैज्ञानिक ने कहा कि विद्यार्थी जीवन का पहला लक्ष्य पढ़ाई है। मनोवैज्ञानिक ने आत्म मूल्यांकन तथा आत्म विश्लेषण करने की सीख देते हुए कहा कि समय प्रबंधन, आत्म विश्वास तथा दृढ़ इच्छाशक्ति से मंजिल अवश्य पा सकते हैं। विद्यालय की प्रधानाचार्या ने समय-समय पर इस तरह के काउंसिलिंग शिविर के आयोजन की आवश्यकता जताई।
इनसेट : इन बातों पर विद्यार्थी दें ध्यान -
-समय सारिणी बनाकर नियमित अध्ययन करें।
-प्रतिदिन प्रत्येक विषय पढ़ें।
-पाठ्य सहगामी क्रियाकलापों में भी हिस्सा लें।
-6 से 8 घंटे की नींद अवश्य लें।
-देर रात तक जाग कर पढ़ाई न करें।
इनसेट : ध्यान दें अभिभावक
-बच्चों के संगी-साथियों पर नजर रखें।
-बच्चों को जागरुक बनाएं।
-पर्याप्त समय दें।
-हीन भाजपा न पनपने दें।
-बच्चों को प्रोत्साहन दें।
इनसेट : शिक्षकों के लिए सुझाव
-बच्चों की विषयगत कमजोरी को जानकर उसके निराकरण का प्रयास करें।
-बच्चों को विस्तृत अध्ययन के लिए प्रेरित करें।
-बच्चों के सफल प्रयासों की प्रशंसा करें।
-आत्मविश्वास बढ़ाने में सहयोग करें।