मातहतों को मिला सीएम का 'सेफ कार्नर'
बहराइच: नेपाल से आए पानी के सैलाब ने तकरीबन चालीस हजार परिवारों की आर्थिक रूप से कमर तोड़ दी है। बाढ़ में राहत व बचाव को लेकर पानी से घिरे गांवों में आक्रोश दिखा। प्रशासन पर लापरवाही के आरोप लगे। भूख को लेकर गांवों में लोग बिलबिलाए। बचाव व राहत में प्रशासन ने खुद को असहाय सा महसूस किया। सो स्वयंसेवी संस्थाओं व आम आदमी को मदद के लिए आगे आने का आह्वान कर डाला। बावजूद इसके सोमवार को जब मुख्यमंत्री बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में दौरे पर आए तो उन्हें पीड़ितों का यह दर्द दिखाई नहीं दिया। राहत व बचाव कार्य में उन्हें खामिया नहीं दिखीं, बल्कि मातहतों को 'सेफ कार्नर' देकर चले गए। दैवीय आपदा का ठीकरा पड़ोसी मुल्क और केंद्र सरकार के बीच उलझ गया। उनके जाने के बाद अधिकारियों ने चैन की सांस ली।
जिले में आई बाढ़ ने जमकर कहर बरपाया है। आंकलन के लिए इतना ही काफी है कि नानपारा और बिछिया के बीच ट्रेन का आवागमन इसलिए बंद हो गया है, क्योंकि पुल बह गए हैं, ट्रैक की पटरियां हवा में झूल रही हैं। इन्हें दुरुस्त करने में रेल महकमे को अभी कई महीनों काम करना पड़ेगा। क्षति के आंकलन को लेकर गांव-गांव में शोर उठ रहा है। मृतकों की संख्या को लेकर संशय बना हुआ है। हालांकि प्रशासन ने अभी तक 26 लोगों के ही मौत की पुष्टि की है। भारी संख्या में मवेशी मारे गए हैं, लेकिन सरकारी आंकड़े अभी मवेशियों की मौत के मामले में सैकड़ा नहीं पूरा कर पाए हैं। केवल 35 पशुओं के मरने की बात कही जा रही है। बाढ़ से तकरीबन चार लाख से अधिक की आबादी प्रभावित हुई है। पुल बह गए, नहरें कट गई, गांवों का रूप बदल गया। दैवीय आपदा का कहर जिसने देखा वे पत्थर की तरह हो गए हैं। ऐसे सैलाब की वे दोबारा कल्पना भी नहीं करते। कई-कई दिनों तक घर पानी में डूबे रहे, पेट खाली रहा। सबसे ज्यादा प्रभावित नानपारा तहसील हुई। संयोग ही है कि इसी तहसील की बलहा विधानसभा का उपचुनाव की घोषणा हो चुकी है तो सरकार राहत और पैकेज की बड़ी घोषणा नहीं कर पा रही है, बल्कि अधिकारियों को गांव-गांव में भेजकर अपने रिपोर्ट कार्ड को दुरुस्त कर रही है। फिलहाल बाढ़ पीड़ित अब फिर से अपनी तकदीर को नए सिरे से संवारने की जद्दोजहद में जुट गए हैं। उन्हें सरकार से जो उम्मीद थी, फिलहाल वह पूरी नहीं हुई।
रातोंरात बनी सड़क
मिहींपुरवा : सीएम के आने के कार्यक्रम के मद्देनजर सिंचाई विभाग ने दिन-रात कर्मियों को लगाकर लगभग 500 मीटर सड़क मिट्टी से पाटकर वैकल्पिक रास्ता बनाया। बताते चलें कि मिहींपुरवा-बलईगांव मार्ग गोपिया के बोटनिहा के पास बाढ़ के पानी के तेज बहाव में कट गया था। जैसे ही मुख्यमंत्री के आने का कार्यक्रम लगा, सिंचाई विभाग ने इसे तीन दिनों के भीतर ही आवागमन के योग्य बना दिया। फिलहाल इस मार्ग के दुरुस्त होने से व्यापारियों को राहत मिली है। यदि मुख्यमंत्री का दौरा न लगता तो शायद इसके लिए लंबा इंतजार करना पड़ता।
सीएम के आने पर भी बिजली रही गुल
मिहींपुरवा : मुख्यमंत्री के आगमन के बावजूद मोतीपुर विद्युत सब स्टेशन से क्षेत्रवासियों को विद्युत आपूर्ति नहीं हो सकी। लोगों को उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री के आगमन के मद्देनजर आपूर्ति बहाल की जाएगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। उपखंड अधिकारी विद्युत नानपारा अताउल जाफर ने बताया कि बाढ़ में मोतीपुर सब स्टेशन का पांच एमवीए का ट्रांसफार्मर खराब हो गया है। क्योंकि बाढ़ का पानी सब स्टेशन में भर गया था। पानी में ट्रांसफार्मर डूब गया था, जिसकी वजह से वह खराब हो गया है।
पीड़ितों की मदद में आगे आए लोग
बहराइच : बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए आमजन व स्वयंसेवी संस्थाएं आगे आ रही हैं। मिहींपुरवा के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र पहुंचकर अरविंद अग्रवाल उर्फ जिंदल, सुभाष, अमित श्रीवास्तव, गौरव श्रीवास्तव, नवीन सिंह, मुकेश कुमार, प्रांजल, सैय्यद आसिफ ने तकरीबन दो हजार साड़ियां, चना, गुड़ व अन्य खाद्य सामग्री बाढ़ पीड़ितों में वितरित की। लायंस क्लब बहराइच पदाधिकारी नीरज खन्ना, कुलदीप सिंह, कमलशेखर गुप्ता, संतोष अग्रवाल, श्यामकरन टेकड़ीवाल, नवीन भानीरामका, मनोज चौरसिया, हनुमान गोयल, नवनीत अग्रवाल, अतुल गुप्ता ने जिलाधिकारी श्रावस्ती तथा नायब तहसीलदार की निगरानी में भिनगा के बाढ़ पीडि़त क्षेत्र हरीपुरवा, मोहम्मदपुर कला, गंगापुर, जोगनी, खर्च, पंडितपुरवा, तेलियनपुरवा गांवों में राहत सामग्री का वितरण किया।