सर्वदात्री भाषा है संस्कृत
बहराइच : संस्कृत भारती के जिला संयोजक डॉ.देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने आज कहा कि संस्कृत भाषा के प्रति लोग उदासीन हैं। जबकि यह सर्वदात्री भाषा है। लोग इस सर्वदात्री भाषा को न पढ़ना चाहते हैं और न ही बच्चों को पढ़ाना। ऐसे में हमारे परिवार व समाज से संस्कारों का पलायन होता जा रहा है।
डॉ.उपाध्याय सरयूनगर बंजारी मोड़ स्थित एक निजी विद्यालय में संस्कृत सप्ताह के अवसर पर छात्र-छात्राओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इक्कीसवीं सदी तभी उज्ज्वल होगी, जब हम संस्कृत भाषा को पढ़ेंगे और लोगों को पढ़ाएंगे, तभी संस्कार दिख सकेंगे। उन्होंने बाबा साहब अंबेडकर के उस प्रस्ताव का जिक्र करते हुए कहा जो उन्होंने 10 सितंबर 1949 में संस्कृत भाषा को राजभाषा बनाने के लिए प्रस्ताव रखा था। कानून मंत्री रहते हुए डॉ.अंबेडकर ने इस गौरवशाली भाषा का उल्लेख किया था। डॉ.उपाध्याय ने कहा कि उस वक्त केंद्र सरकार की एक गोष्ठी में बाबा साहब अंबेडकर और पं.लक्ष्मीकांत मैत्रेय आपस में संस्कृत भाषा में वार्तालाप कर रहे थे। उस वक्त दोनों ने संस्कृत को राजभाषा बनाने के लिए संशोधित उपस्थित किए थे। लिहाजा अब वक्त है संस्कृत भाषा के उत्थान के लिए काम करने का। कार्यक्रम की अध्यक्षता शिक्षिका सुरभि पांडेय ने की और संचालन सौरभ कुमार मिश्र ने किया। आयोजित प्रतियोगिता श्लोक गायन में वर्षा पांडेय को प्रथम, साक्षी मिश्रा को द्वितीय और सुप्रिया मिश्रा को तीसरा स्थान प्राप्त हुआ। संस्कृत गीत में छात्रा सुप्रिया मिश्रा को पहला स्थान, सूरत सिंह को दूसरा व कृष्ण पांडेय को तीसरा स्थान मिला। अंत्याक्षरी प्रतियोगिता में महाकवि व्यासगण के समूह ने बाजी मारी। समारोह में सारिका सिंह, आरती तिवारी, दिनेश यादव, रजनी उपाध्याय आदि कई छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।