सरकारी क्रय केंद्रों पर पसरा सन्नाटा
बहराइच: जिले में मूल्य समर्थन योजनान्तर्गत गेहूं खरीद के लिए खोले गये अधिकांश क्रय केंद्रों पर गेहूं की कम आमद के कारण सन्नाटा पसरा है। कहीं-कहीं गेहूं आ भी जाता है तो सरकारी केंद्रों पर कर्मचारियों के न होने के कारण किसानों को औने पौने दामों पर अपना गेहूं बेचने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है। प्रस्तुत है मंडी समिति नानपारा में लिये गये जायजा पर एक रिपोर्ट-
मंडी समिति में बने गेहूं क्रय केंद्रों पर पूर्वान्ह 11.30 बजे जाने पर यूपी स्टेट एग्रो इंडस्ट्रियल कारपोरेशन लि.द्वारा संचालित गेहूं क्रय केंद्र का बैनर मात्र लगा था। केंद्र बंद था तथा केंद्र प्रभारी सुभाष सहित सभी केंद्र कर्मी नदारद थे। पीसीएफ द्वारा संचालित गेहूं क्रय केंद्र तो खुला था बैनर लगा था, लेकिन केंद्र पर कोई नहीं था। केंद्र प्रभारी जगदीश प्रसाद के मोबाइल पर फोन किया गया, मगर रिसीव नहीं हआ। खाद्य एवं रसद विभाग द्वारा संचालित केंद्र खुला था। केंद्र पर सेवानिवृत्ति चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी राम लखन मौजूद थे। केंद्र प्रभारी अखिलेश केंद्र से नदारद थे। राम लखन ने बताया कि बाबूजी बहराइच से आवत हैं। अभी नाय आए हैं। उन्होंने बताया कि अभी तक केंद्रवार कुछ भी नहीं खरीदा गया है। किसानों का 15 प्रतिशत से अधिक गेहूं बिचौलिया अथवा व्यापारी खरीद चुके हैं। कारण है कि बनाया गया गेहूं क्रय केंद्र या तो बंद मिलता है या फिर केंद्र पर कोई नहीं मिलता है जिससे मजबूर होकर किसान गेहूं को कम दामों पर मंडी में व्यापारियों अथवा बिचौलियों के हाथ औने पौने दाम पर बेचने को मजबूर हो रहे हैं। व्यापारियों द्वारा किसानों को सरकारी मूल्य से कम पैसा तो दिया ही जाता है साथ ही एक क्विंटल पर दस किलो गेहूं राम रहीम के नाम पर भी निकाला जाता है। ग्राम नकही के बंशीलाल, राजापुरवा के मोहन, ककरी के श्याम लाल जोखन, ताजपुर के नबी अहमद अपने गेहूं केंद्र पर देने आये थे। लेकिन कोई केंद्र प्रभारी नहीं था जिससे वह व्यापारियों को गेहूं बेचने को विवश थे। मंडी में तांगा, ट्राली और ठेलिया पर किसान गेहूं लाद कर लाये थे और केंद्र प्रभारी का इंतजार करने के बाद प्राइवेट कांटा को कम दामों पर देने को विवश थे।