सीडब्ल्यूसी ने रुकवाया बाल विवाह
-लड़की के घरवालों से मांगे तमाम प्रमाण पत्र, जिसे नहीं दिखा पाये परिवार वाले जागरण संवाददाता, बड़ौत
-लड़की के घरवालों से मांगे तमाम प्रमाण पत्र, जिसे नहीं दिखा पाये परिवार वाले
जागरण संवाददाता, बड़ौत: बाल विवाह के अपराध को रोकने के लिए समाज के लोग सामने आने लगे हैं। शहर में एक किशोरी की शादी की शिकायत पर न्यायपीठ बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) ने पहुंचकर शादी रुकवा दी। परिजनों ने लड़की के बालिग होने का दावा किया है, लेकिन फिलहाल बालिग होने का प्रमाण नहीं मिलने पर न्यायपीठ में मामला विचाराधीन है।
चाइल्डलाइन के जरिए भट्ठे वाली गली निवासी सतीश कुमार की नाबालिग बेटी की शादी होने की शिकायत पर न्यायपीठ सीडब्ल्यूसी वहां पर पहुंची। सीडब्ल्यूसी मजिस्ट्रेट राजीव यादव, डा. कुलदीप त्यागी और मालती शर्मा ने लड़की के अभिभावकों से उसकी आयु के संबंध में कागजात मांगे तो परिजन कोई सुबूत पेश नहीं कर पाए। परिजनों ने बताया कि कक्षा नौ में ही लड़की की पढ़ाई छूट गई थी। बाल संरक्षण अधिकारी दीपांजलि ने परिजनों के बताए स्कूल में जाकर उसकी जन्मतिथि के बारे में जांच की। इस बारे में परिजनों ने कहा कि मार्च 2006 में उन्हें यह बच्ची अनाथ रूप में मिली थी। उस समय उसकी उम्र आठ वर्ष थी। वह बालिग है। उम्र को लेकर विवाद गहराने पर न्यायपीठ ने शादी रुकवा दी और उम्र को लेकर मामला विचाराधीन रख लिया। इस मामले में न्यायपीठ कानूनी पहलुओं को ध्यान में रखकर अपना फैसला सुनाएगी।
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काफी तलाश करने पर भी नहीं मिले माता-पिता
परिजनों ने बताया कि आठ साल पहले मार्च 2006 में यह बच्ची लावारिस मिली थी। काफी तलाश करने के बाद भी बच्ची के माता-पिता का कुछ पता नहीं चला तो उन्होंने उसे पाला है। 2006 से लेकर अब तक 11 साल बीतने के कारण भी बच्ची बालिग हो चुकी है। उस समय यह मामला काफी चर्चित हुआ था।
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ठेली लगाकर किया बच्ची का पालन पोषण
समाजसेवी तेजपाल ¨सह ने बताया कि सतीश कुमार की माली हालत ठीक नहीं होने के बाद भी उसने अनाथ बच्ची को अपनी बेटी की तरह पाला। इसके लिए उसने खिलौनों की ठेली लगाई। खुद का कोई बच्चा नहीं होने के कारण उसने मजदूरी करके अच्छी तरह से अपनी बेटी का पालन-पोषण किया। अब अच्छी शादी भी करना चाहता है।