मजहबी आजादी में दखल दे रहा केंद्र : उलेमा
बड़ौत(बागपत) : मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के आह्वान पर शुरू किए गए हस्ताक्षर अभियान, तलाक व यूनिफार्म सि
बड़ौत(बागपत) : मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के आह्वान पर शुरू किए गए हस्ताक्षर अभियान, तलाक व यूनिफार्म सिविल कोड के मसले को लेकर बड़ौत की विभिन्न मस्जिदों के इमाम व आलिमों की पठानकोट की बड़ी मस्जिद में बैठक हुई। यहां मुस्लिम उलेमा ने कहा कि केंद्र सरकार मजहबी आजादी में दखल दे रही है, लेकिन धार्मिक मामलों में यह दखलंदाजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
बैठक की अध्यक्षता कर रहे मरकजी मस्जिद फूंसवाली के इमाम व जमीयत उलेमा-ए-¨हद के जिला महासचिव मौलाना आरिफ-उल-हक ने कहा कि केंद्र सरकार तीन तलाक और आचार संहिता मसले पर मुसलमानों को उलझाने का प्रयास कर रही है। इसे तूल देकर केंद्र सरकार मजहबी आजादी में दखलंदाजी करना चाहती हैं। कहा कि मुसलमानों का दीन मुकम्मल है। तमाम मजहबी मसले कुरान की रोशनी में हल हो जाते हैं। लॉ कमीशन की गाइडलाइंस को कतई नहीं मानेंगे।
दावा किया कि इस्लाम में महिलाओं को हर तरह की आजादी दी है। पर्दे में रहकर महिलाएं हर क्षेत्र में काम कर सकती हैं। पूरी दुनिया का मुसलमान शरीयत के कानून के खिलाफ नहीं जा सकता। कारी शाबिर, मोहम्मद आरिफ मलिक, कारी गुफरान, कारी अब्दुल वाजिद, कारी शाहिद, मौलाना इसरार, मौलाना मजहर, मौलाना सईद ने इमाम व धर्मगुरुओं ने मुसलमानों के धार्मिक मामलों में दखल का कड़ा विरोध करने की बात कही।
फॉर्म भरवाकर जुटाया
जा रहा समर्थन
मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड द्वारा देश में शुरू किए गए हस्ताक्षर अभियान को कामयाब बनाने व सरकार के खिलाफ जनसमर्थन जुटाने के लिए बड़ौत की पठानकोट मस्जिद के प्रांगण में इमामों व आलिमों ने शिविर लगाकर महिलाओं व पुरुषों से इस मामले पर एक फॉर्म भरवाना शुरू कर दिया है। फॉर्म में लिखा है कि 'वह शरीयत के अनुसार तलाक, खुला और फस्ख में किसी भी तरह की गुंजाइश और तब्दीली की जरूरत महसूस नहीं करते/करती हैं।