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कुत्ता काटने पर दिखाइए राशनकार्ड, तभी इलाज

प्रदीप द्विवेदी, बागपत : डॉक्टर : किस इलाके से आए हो? पीड़ित : डॉक्टर साहब, नंगला से। डॉक्टर

By Edited By: Published: Tue, 27 Sep 2016 11:25 PM (IST)Updated: Tue, 27 Sep 2016 11:25 PM (IST)
कुत्ता काटने पर दिखाइए राशनकार्ड, तभी इलाज

प्रदीप द्विवेदी, बागपत :

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डॉक्टर : किस इलाके से आए हो?

पीड़ित : डॉक्टर साहब, नंगला से।

डॉक्टर : झूठ बोल रहे हो। तुम तो बड़ौत क्षेत्र के लग रहे हो। पहले राशनकार्ड या कोई और पहचान पत्र लेकर आओ। अगर हमारे ही क्षेत्र के हुए, तभी इंजेक्शन लगेगा। अगर दूसरे क्षेत्र के हुए तो तुम्हें वहां जाना पड़ेगा।

पीड़ित : ठीक है साहब। कल लेकर आऊंगा।

..दूसरा दिन..

पीड़ित वहां के चक्कर से बचने के लिए जिला अस्पताल पहुंच जाता है।

डाक्टर : यहां क्यों चले आए?

पीड़ित : वहां राशनकार्ड मांग रहे थे। साहब वो तो इंजेक्शन न लगाने के लिए ऐसा कर रहे थे।

डाक्टर: यहां भी राशन कार्ड दिखाना पड़ेगा। वैसे यहां नहीं लगेगा। जब सीएचसी में इंजेक्शन खत्म होता है, तब हमारे यहां लगाया जाता है।

पीड़ित तीसरे दिन सीएचसी छपरौली पहुंचता है।

पीड़ित : डॉक्टर साहब, ये रहा राशन कार्ड।

डॉक्टर : ठीक है, ठीक है, लेकिन अब तो देर कर दी। कोई और मरीज भी नहीं है। कम से कम चार लोग तो होने चाहिए। ऐसा करो कल आ जाना सुबह जल्दी।

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कुत्ता काटने के बाद इस तरह के संवादों से जूझना और चक्कर कटवाने का सिलसिला बागपत जिले में आम बात है। विभिन्न सेवाओं में आगे आने का दम भरने वाला यह शायद पहला जिला होगा, जहां एंटी रेबीज वैक्सीन लगाने से पहले ये पूछा जाता है कि किस इलाके के हो? पहचान पुख्ता करने के लिए राशनकार्ड भी मांगा जाता है। अगर आपके पास किसी कारणवश राशन कार्ड नहीं है, तो तय मानिये कि आपको एंटी रेबीज इंजेक्शन नहीं लगाया जाएगा, और रेबीज होने के कारण आपका मौत का परमिट बिना बनवाए बन जाएगा। हाल यह है कि कि दूसरे सीएचसी क्षेत्र का होने पर डाक्टर वैक्सीन लगाने से साफ इंकार कर देते हैं। यह बात सुनने में अजीब लग सकती है, लेकिन यह हकीकत है। बहरहाल, कुछ सीएचसी में इस तरह का व्यवहार नहीं होता है।

जिले में ऐसा कभी-कभार होता है कि यहां सीएचसी और जिला अस्पताल में एंटी रेबीज वैक्सीन न बची हो। वैक्सीन खत्म होना एक मजबूरी हो सकती है, लेकिन जब वैक्सीन है, तब चक्कर कटवाना समझ से परे की बात हो जाती है। जिला अस्पताल, सीएचसी बड़ौत, सीएचसी छपरौली समेत कई सीएचसी में ऐसा ही व्यवहार किया जाता है। हालांकि सीएचसी बागपत, सीएचसी खेकड़ा में इस तरह की कोई शर्त नहीं रखी जाती है। 12 बजे के बाद वैक्सीन न लगना और कम से कम चार लोगों को एक साथ वैक्सीन लगना एक अतिरिक्त शर्त तो है ही।

सीएचसी बागपत ने किया सुधार

सीएचसी बागपत में एक वाकया था। एक ही परिवार के कई लोगों को कुत्ते ने नोच लिया था। वे एंबुलेंस से सीएचसी बागपत आए थे। यहां चिकित्सकों को जब पता चला कि पीड़ित खेकड़ा सीएचसी क्षेत्र के हैं, तो उन्होंने इंजेक्शन लगाने से मना कर दिया। पीड़ित बाद में जिला अस्पताल चले गए। इस प्रकरण की जानकारी के बाद अधीक्षक डा. प्रमोद कुमार ने फटकार लगाई और सुधार किया।

राशनकार्ड मांगना मजबूरी

''राशनकार्ड सिर्फ एक पहचान के लिए मांगा जाता है। ऐसा न करें तो बहुत से मरीज हरियाणा और अन्य क्षेत्र के लोग आ जाएंगे।''

-डा. बीएलएस कुशवाह, सीएमएस, जिला अस्पताल।

''राशनकार्ड की व्यवस्था सिर्फ स्थिति नियंत्रित करने के लिए है। ऐसा कोई नियम नहीं है। वैक्सीन सीमित संख्या में आती है। किसी सीएचसी को अनावश्यक दबाव न पड़े और मरीज दुरुपयोग न करें, इसलिए पहचान पत्र की व्यवस्था कुछ सीएचसी में चलाई जा रही है।

-डा. र¨वद्र कुमार मिश्र, सीएमओ, बागपत।


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