धीमी हुई स्वच्छता अभियान की रफ्तार
बागपत : दो साल पूर्व शुरू हुए स्वच्छता अभियान की रफ्तार धीमी होने लगी है। जिले के 290 गांवों में न क
बागपत : दो साल पूर्व शुरू हुए स्वच्छता अभियान की रफ्तार धीमी होने लगी है। जिले के 290 गांवों में न कोई गांव खुले में शौच से मुक्त बना और न लोगों को गंदगी से मुक्ति मिली। वहीं, बागपत तथा बड़ौत समेत सभी आठ कस्बों में स्वच्छता अभियान को थोड़ी गति जरूर मिली, लेकिन गंदगी मिटाने को अभी बहुत काम होना बाकी है। पीएम नरेंद्र मोदी ने दो साल पूर्व दो अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती पर स्वच्छता अभियान की शुरूआत की तब बागपत जिले में चौतरफा लोग गंदगी मिटाने में जुटे नजर आए, लेकिन समय के साथ आम आदमी ही नहीं सरकारी तंत्र भी स्वच्छता अभियान से मुंह फेरता नजर आता है। आलम यह है कि दो साल में करोड़ों का बजट मिलने के बावजूद 80 हजार परिवार आज भी शौचालय विहीन हैं। चालू साल में 18 हजार शौचालय में महज सात हजार शौचालय का ही निर्माण करा पाए हैं। सभी 290 गांवों के लिए 304 सफाई कर्मी नियुक्त हैं। पर, इनमें से 100 से ज्यादा सफाई कर्मी सरकारी दफ्तरों व अधिकारियों के घरों पर हाजिरी बजाते हैं। नतीजा है गांवों में चौतरफा गंदगी का अंबार। यही नहीं गत दो साल से प्रशासन गांवों को खुले में शौच से मुक्त करने का ढोल पीटने में कसर नहीं छोड़ रहा है, लेकिन आज तक मिसाल के तौर पर एक भी गांव को खुले में शौच से मुक्त नहीं कर सका।
पिछले सालों में निर्मल पुरस्कार पा चुके ब्राह्मण पुट्ठी, फैजुल्लापुर, बुढ़सैनी, मुकंदपुर, हलालपुर, बाछौड़, ढिकाना, आरिफपुर खेड़ी, गुराना, मुजफ्फरपुर कनवाड़ा व माखर, कान्हड़ आदि गांवों के ग्रामीणों को गंदगी की मार से निजात नहीं मिली है। बाकी गांवों का तो कहना ही क्या है? सरकारी तंत्र की लापरवाही का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से सभी गांवों को दस-दस हजार रुपये की राशि साफ-सफाई को समय से नहीं मिली है।
लेकिन गांव ही नहीं कस्बों में भी सफाई व्यवस्था लचर है। बागपत की माता कालोनी, नया मुगलपुरा, कोर्ट रोड तथा सिसाना रोड, केतीपुरा, मोहल्ला कुरैशियान समेत कई ऐसी बस्ती हैं, जहां गंदगी से लोग हलकान हैं। उधर, बड़ौत नगर में भी मोहल्ला पठानकोट, गुराना व नेहरू रोड, सर्कुलर रोड समेत कई बस्तियों में गंदगी का अंबार है। बाकी अग्रवाल मंडी टटीरी, खेकड़ा, अमीनगर सराय, टीकरी, दोघट और छपरौली कस्बों में भी सफाई व्यवस्था लचर है। इधर, नगर पालिका परिषद के अधिशासी अभियंता विजय मनी त्रिपाठी कहते हैं कि नगर में सफाई व्यवस्था सही है। कहीं गंदगी का अंबार नहीं है।
रोजाना 76 टन कूड़ा
बागपत : जिले के आठ कस्बों में प्रतिदिन 76 मीट्रिक टन कूड़ा होता है, लेकिन इसमें से 50 मीट्रिक टन कूड़ा का ही निस्तारण हो पाता है। बाकी 26 मीट्रिक टन कूड़ा यूं ही गली-मोहल्लों और सड़कों पर पड़ा रहता है। बात साफ है कि स्वच्छता अभियान को अभी गति देने की आवश्यकता है। जो स्वच्छता दूत बनाए गए, उनका कहीं अता पता नहीं है।
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ऐसे मिटेगी गंदगी
बागपत : प्रशासन की योजना है कि साल 219 तक शत-प्रतिशत परिवारों के यहां शौचालय बनवाए जाएं। वहीं चालू साल में 18 हजार शौचालयों का निर्माण होगा तथा बीस गांवों को खुले में शौच से मुक्त बनाना की कार्ययोजना है। नगर निकायों में सफाई कर्मियों की भर्ती होगी ताकि साफ-सफाई के काम को गति मिले।
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इन्होंने कहा..
स्वच्छता अभियान सही चल रहा है। लोग जागरूक हुए हैं। गरीब परिवारों के घरों शौचालय बनवाने को 12 हजार रुपये की दर से अनुदान दिया जा रहा है। चालू साल में आठ हजार से ज्यादा शौचालय बन चुके हैं। हमारा प्रयास है कि 26 गांवों को खुले में शौच से मुक्त बना दें।
-जेपी रस्तोगी, सीडीओ।