अफसरों ने चार शिक्षकों पर लुटाए 1.44 करोड़
बागपत : माध्यमिक शिक्षा विभाग में कार्यरत चार शिक्षकों को सात साल तक गलत वेतन का भुगतान करना विभागीय
बागपत : माध्यमिक शिक्षा विभाग में कार्यरत चार शिक्षकों को सात साल तक गलत वेतन का भुगतान करना विभागीय अफसरों को महंगा पड़ गया है। शासन ने जांच में 1.44 करोड़ रुपये के अनियमित भुगतान में 16 अधिकारियों और प्रधानाचार्यों को दोषी माना है। चारों शिक्षकों पर लुटाई गई रकम में से 60 फीसदी धन की वसूली अधिकारियों से करने का आदेश शासन ने जारी कर दिया है। इससे अधिकारियों और शिक्षकों में खलबली मची है।
मामला एमएम इंटर कालेज खेकड़ा के चार शिक्षकों की नियुक्ति और वेतन भुगतान का है। शासन के प्रमुख सचिव शिक्षा जितेंद्र कुमार ने जांच में 8 जुलाई 2009 से 30 जून 2016 तक 1.44 करोड़ 92 हजार 786 रुपये के वेतन भुगतान को अनियमितता माना है। दरअसल, शिक्षा निदेशक का एक जुलाई 2008 का आदेश खारिज होने के बाद शिक्षकों को वेतन भुगतान नहीं होना था। इसके बावजूद अधिकारी शिक्षकों को बराबर वेतन भुगतान करते रहे।
शासन ने तत्कालीन पांच डीआइओएस, तीन वित्त एवं लेखाधिकारियों, पांच प्रबंध संचालकों और तीन प्रधानाचार्यों को इसके लिए दोषी माना है। चारों शिक्षकों को तथ्य छिपाकर भुगतान पाने का जिम्मेदार माना गया। शासन ने शिक्षकों से 40 फीसद तथा अधिकारियों से 60 फीसद वसूली का प्लान तैयार किया है। किस अधिकारी और शिक्षक से कितनी वसूली होगी, यह तय हो चुका है। एक तत्कालीन डीआइओएस से सबसे ज्यादा 12.56 लाख 237 रुपये की वसूली करना प्रस्तावित है। एक तत्कालीन वित्त लेखाधिकारी से 9.11 लाख रुपये से ज्यादा की वसूली निकाली गई है। कार्रवाई की चपेट में आए अधिकारी अपनी गर्दन बचाने को जोड़तोड़ में जुटे हैं।
उधर, चारों शिक्षकों के चक्कर में एमएम इंटर कालेज खेकड़ा के बाकी स्टाफ को भी जुलाई से वेतन नहीं मिला है। जिन शिक्षकों का दोष नहीं, उन्हें भी वेतन नहीं मिलने के मामले में डीएम ने डीआइओएस से रिपोर्ट तलब की है।
फंसे ये अधिकारी
तत्कालीन डीआइओएस उदयभान, पीएन ¨सह, र¨वद्र ¨सह, विधि नारायण, आशुतोष भारद्वाज और वित्त एवं लेखाधिकारी सतीश कुमार, लल्लन प्रसाद और विरेंद्र ¨सह। बाकी 12 लोगों में प्रबंध संचालक, शिक्षक और प्रधानाचार्य शामिल हैं।
इन्होंने कहा..
प्रमुख सचिव शिक्षा की जांच रिपोर्ट मिल गई है, जिसमें 1.44 करोड़ रुपये से ज्यादा का अनियमित भुगतान माना गया है। हमने वित्त एवं लेखाधिकारी तथा प्रधानाचार्य को आवश्यक कार्रवाई के लिए लिखा है।
-पीके मिश्रा, डीआइओएस।