पर्यूषण पर्व के चौथे दिन उत्तम शौच धर्म को अंगीकार किया
बड़ौत (बागपत): दशलक्षण पर्व के चौथे दिन राष्ट्र संत मुनि विहर्ष सागर महाराज के सनिध्य में जैन मंदिरों
बड़ौत (बागपत): दशलक्षण पर्व के चौथे दिन राष्ट्र संत मुनि विहर्ष सागर महाराज के सनिध्य में जैन मंदिरों में विभिन्न धाíमक अनुष्ठान आयोजित हुए।
शुक्रवार को बड़ा जैन मंदिर में श्री दिगंबर जैन युवा मंच के तत्वावधान में भगवान चंद्रप्रभु का अभिषेक विधि-विधान से किया गया। पीत वस्त्र धारण किए इंद्राणियों और श्रद्धालुओं ने नित्य-नियम और दशलक्षण धर्म की पूजा संगीत की मधुर स्वरलहरियों के बीच पूर्ण की। विधानाचार्य नरेश जैन शास्त्री के निर्देशन में तेरहद्वीप महामंडल विधान की कुल आठ पूजा हुई। उधर, दिगंबर जैन छोटा मंदिर में श्री दिगंबर जैन युवा समिति के तत्वावधान में विभिन्न धाíमक अनुष्ठान हुए। दोपहर में जैन अतिथि भवन में मुनि विहर्ष सागर महाराज ने तत्वार्थ सूत्र का वाचन किया। शाम को बड़ा जैन मंदिर में भक्ति संगीत और आरती का विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसके बाद पंडित नरेश चंद जैन शास्त्री ने उत्तम शौच धर्म पर विशेष प्रवचन किए। अतिथि भवन में शाम को देशभक्ति से ओतप्रोत सांस्कृतिक कार्यक्रम किया गया। अतिथि भवन में प्रवचन करते हुए जैन मुनि विहर्ष सागर महाराज ने कहा कि जिस प्रकार अतिथि के आगमन के पूर्व घर की सफाई अनिवार्य है, उसी प्रकार सत्य के बीजारोपण से पूर्व आत्मा की सफाई भी आवश्यक है। कहा कि शौच धर्म का अर्थ है कि आत्मा में लोभ का अंकुर फूटे, उससे पहले ही उसे मिटा डालना। लोभ की दुर्गंध को समाप्त करना ही उत्तम शौच धर्म है। कार्यक्रम में सुनील, अतुल जैन, प्रवीण, सुखमाल जैन, संदीप जैन, विशाल जैन, मनोज जैन, आनंद जैन, राजेश जैन आदि मौजूद थे।