फर्जी गिरफ्तारी पर फंसे इंस्पेक्टर व केस विवेचक
बागपत : बाइक चोरी के आरोप में पांच लोगों को जेल भेजने के मामले में बड़ौत पुलिस अब खुद अपने जाल में फं
बागपत : बाइक चोरी के आरोप में पांच लोगों को जेल भेजने के मामले में बड़ौत पुलिस अब खुद अपने जाल में फंस गई है। सीजीएम कोर्ट ने पांचों का रिमांड समाप्त करते हुए वारंट भी निरस्त कर दिया है। इसके साथ ही चोरी के मामले में पांचों लोगों को गलत फंसाने का लापरवाह मानते हुए इंस्पेक्टर व केस विवेचक के विरुद्ध कार्रवाई के लिए डीजीपी को आदेशित किया है। इसके साथ ही गलत तरीके से निरुद्ध करने का मामला देखते हुए मानवाधिकार का उल्लंघन माना है, मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली को भी अपने स्तर से कार्रवाई के लिए निर्देशित किया है।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट की आदेश प्रति के अनुसार अंकित तोमर ने बड़ौत कोतवाली में अज्ञात में मुकदमा दर्ज कराया था, जिसमें कहा गया था कि तीन लड़के लाल रंग की मोटरसाइकिल पर आए और बाइक लेकर भाग निकले। कोर्ट ने शुक्रवार को आदेश में बताया कि वादी ने तीन अभियुक्तों द्वारा बाइक चोरी की बात कही है। पांच लोगों को अभियुक्त बनाया गया है जबकि उनके बयान दर्ज नहीं किए गए। विवेचक ने माना है कि अभियुक्तों पर धारा 411 का अपराध नहीं बनता है। यदि केस डायरी देखी जाए तो धारा 379 के तहत भी वे अभियुक्त नहीं बनाए जा सकते। इनके विरुद्ध मोटरसाइकिल चोरी का कोई भी साक्ष्य केस डायरी में दर्ज नहीं है।
कोर्ट ने आदेश किया कि एसआइ व विवेचक जाहिद खां तथा प्रभारी निरीक्षक विजय कुमार ¨सह ने जिस मोटरसाइकिल की चोरी व बरामदगी का साक्ष्य बताते हुए रिमांड की प्रार्थना की थी, वह पूरी तरह से गलत है। कोर्ट ने कहा कि अभियुक्त रवि सरोहा, विनीत उर्फ कल्लू, अंकुर उर्फ बोडी, अक्षय तोमर, विशु पंवार के विरुद्ध कोई साक्ष्य नहीं है और इनकी गिरफ्तारी पूरी तरह से गलत है इसलिए रिमांड समाप्त करते हुए वारंट निरस्त कर दिया गया है। कोर्ट ने डीजीपी को आदेश दिया है कि विवेचक और प्रभारी निरीक्षक बड़ौत पर इस लापरवाही के लिए कार्रवाई की जाए। मानवाधिकार का उल्लंघन मिलने पर मानवाधिकार आयोग को भी कार्रवाई के लिए आदेश दिया है।