नकली दवा बेचने पर नकेल, कंपनी पर होगा मुकदमा
प्रदीप द्विवेदी, बागपत : मुंबई की एक कंपनी का प्रदेश में नकली दवा की बिक्री करने का मंसूबा फेल कर
प्रदीप द्विवेदी, बागपत :
मुंबई की एक कंपनी का प्रदेश में नकली दवा की बिक्री करने का मंसूबा फेल कर दिया गया है। कंपनी ने नकली एंटीबायोटिक टेबलेट यूपी में वाया मुजफ्फरनगर-बागपत से बेचने की शुरूआत की थी, जो कुछ समय में ही पकड़ में आ गया। इस मामले में मुजफ्फरनगर के दो लोगों को जेल हो चुकी है और बड़ौत के मेडिकल स्टोर का लाइसेंस निरस्त कर दिया गया है। अब उस निर्माता कंपनी पर मुकदमा दर्ज करने की तैयारी शुरू हो गई है।
जनपद के बड़ौत नगर स्थित अंशु मेडिकल एजेंसी से पिछले साल मई में एंटीबायोटिक टेबलेट इरीथ्रोमाइसीन का सैंपल लिया गया था। दिसंबर में सैंपल रिपोर्ट आई तो ड्रग कंट्रोल विभाग के होश उड़ गए। दवा नकली थी। उसमें एक भी साल्ट नहीं पाया गया। यानी बिना साल्ट डाले दवा बनाकर बाजार में उतार दी गई। दवा महंगी बिकती और उसका कोई असर भी नहीं होता। रिपोर्ट के आधार पर जांच शुरू हो गई। संबंधित मेडिकल स्टोर से पता चला कि उसने मुजफ्फरनगर के दवा व्यवसायी से यह दवा खरीदी थी। उसकी निशानदेही पर मुजफ्फरनगर के सिविल लाइन में एक मकान में छापा मारा गया तो वहां ये दवा पाई गई। रामफल व शहजाद ने इस दवा की बिक्री का काम संभाला था। उनके पास से दवा ब्रिकी संबंधी कोई लाइसेंस भी नहीं मिला। वे चोरी-छिपे इस दवा को बाजार में बेचना चाह रहे थे। इन दोनों पर ड्रग एक्ट के तहत सिविल लाइन थाना में मुकदमा दर्ज कराने पर पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया और दोनों को जेल भेज दिया गया। अंशू मेडिकल एजेंसी का लाइसेंस भी निरस्त कर दिया गया। इसी के साथ पूरे प्रदेश में इस दवा को सीज करने के आदेश जारी कर दिए गए। सर्च अभियान चलाने पर पता चला कि ये दवा अभियान के दौरान अन्य कहीं नहीं मिली। अनुमान लगाया गया कि हो सकता है कि कंपनी ने अभी शुरूआत ही की हो। बहरहाल, इसकी खरीद व बिक्री पर रोक लगा दी गई है। उधर, दवा बनाने वाली शीतल फार्मास्यूटिकलकंपनी, मुंबई से भी दवा की पहचान कराई गई। ड्रग इंस्पेक्टर जुनाब अली ने बताया कि कंपनी ने स्वीकार किया है कि जिस दवा का सैंपल लिया गया था वह दवा उसी कंपनी की है। अब इस कंपनी पर मुकदमा दर्ज कराने के लिए ड्रग कंट्रोलर, लखनऊ से स्वीकृति मांगी गई है। जल्द ही मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।
जिम्मेदार को हो सकता है आजीवन कारावास
संबंधित कंपनी पर मुकदमा होने के बाद जिस भी डायरेक्टर या अधिकारी को दोषी पाया जाएगा, उसे ड्रग एक्ट के तहत नकली दवा बनाने के जुर्म में आजीवन कारावास की सजा हो सकती है।