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तेज आवाज के पटाखे न फोडें, बचाएं कान और पर्यावरण

बागपत : दीवाली के उल्लास में हम सब आतिशबाजी करते हैं और पटाखे फोड़ते हैं, अगर हम इस उल्लास में थोड़ा

By Edited By: Published: Sun, 01 Nov 2015 11:51 PM (IST)Updated: Sun, 01 Nov 2015 11:51 PM (IST)
तेज आवाज के पटाखे न फोडें, बचाएं कान और पर्यावरण

बागपत : दीवाली के उल्लास में हम सब आतिशबाजी करते हैं और पटाखे फोड़ते हैं, अगर हम इस उल्लास में थोड़ा ही सही पर्यावरण, ध्वनि प्रदूषण और अपने शरीर की सुरक्षा पर गौर कर लें तो यह एक अच्छे और जागरूक नागरिक की मिसाल होगी। हमें यह ध्यान देना चाहिए कि तेज आवाज वाले बम-पटाखे न फोड़ें, इससे ध्वनि प्रदूषण तो होता ही है, कान का पर्दा भी फट सकता है। बहुत ज्यादा पटाखे भी न फोड़ें, क्योंकि इसका धुआं पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के साथ ही किसी दमे के मरीज व एलर्जी वाले मरीज के लिए घातक है। कहीं कान में घंटी तो नहीं बजी जिला अस्पताल के नाक-कान-गला रोग विशेषज्ञ डा. सुनील कुमार ने बताया कि तेज आवाज वाले बम-पटाखे से न सिर्फ ध्वनि प्रदूषण फैलता है बल्कि कान के लिए भी नुकसान दायक है। 20 से 30 हजार डेसीबल की तीव्रता तक की आवाज ही कान सहन कर सकता है। इससे अधिक तेज आवाज कान के लिए नुकसान दायक है। अधिक तेज आवाज होने से पर्दा फट सकता है या पर्दे के अंदरूनी हिस्सों पर फर्क पड़ता है। कन्ड¨क्टग हिय¨रग लॉस की समस्या हो सकती है। कान की हड्डियों पर फर्क पड़ता है। उन्होंने बताया कि अगर कान में घंटी बजे, कुछ देर तक कुछ सुनाई न दे तो इसका मतलब है कि पटाखा या बम अधिक तीव्रता का था।

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पर्यावरण बचाएं, मरीज को बचाएं

डा. सुनील ने बताया कि अधिक आतिशबाजी से अधिक धुंआ फैलता है, यह धुंआ पर्यावरण के लिए तो घातक है ही दमे के मरीजों के लिए सबसे अधिक नुकसानदायक है। किसी व्यक्ति को एलर्जी है तो वह इस धुएं से अधिक प्रभावित हो सकता है।

हमने लिया संकल्प, आप ने लिया?

नगर एसपीसी डिग्री कालेज के छात्र-छात्राओं ने संकल्प लिया कि वे तेज आवाज वाले पटाखे नहीं फोड़ेंगे। लोगों से अपील करेंगे कि पर्यावरण का नुकसान पहुंचाने वाले पटाखों का त्याग कर उस पैसे का सदुपयोग करेंगे। गरीबों के लिए कपड़ा आदि में उसे खर्च करेंगे। शिखा, नीलम, आरती, पूजा, मीनाक्षी, मनीषा, संगीता, श्वेता, चंचल, भारती, रुचि आदि छात्राओं ने कहा कि वे घर व मोहल्ले के लोगों को भी इस संबंध में जागरूक करेंगे। प्राचार्य डा. अनिल कुमार ने छात्र-छात्राओं से अपील की कि वे खुद जागरूक हो और अन्य लोगों को भी जागरूक करें। इन छात्र-छात्राओं ने तो संकल्प ले लिया, क्या आप ने संकल्प लिया? 'हम सब पर्यावरण का ध्यान बिल्कुल रख सकते हैं। हमारे युवा समझदार हैं। उन्हें दीवाली का उल्लास भी मनाना चाहिए और ऐसा भी करना चाहिए कि जिससे पर्यावरण और ध्वनि प्रदूषण न हो। अधिक तेज आवाज वाले पटाखे-बम न फोड़ें। किसी के घर पर पटाखे राकेट न छोड़ें। बुजुर्गो व बच्चों से दूर बम फोडें।'

-दादी प्रकाशो, अंतर्राष्ट्रीय शूटर।


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