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मिट रहा तालाबों का वजूद

बागपत : बढ़ती आबादी और आसमान छूते जमीन के दाम से 600 तालाबों का वजूद मिट चुका है। इन तालाबों का वजूद

By Edited By: Published: Sun, 05 Jul 2015 11:35 PM (IST)Updated: Sun, 05 Jul 2015 11:35 PM (IST)
मिट रहा तालाबों का वजूद

बागपत : बढ़ती आबादी और आसमान छूते जमीन के दाम से 600 तालाबों का वजूद मिट चुका है। इन तालाबों का वजूद कहीं बचा है तो सिर्फ हुकूमत के रिकार्ड और बाबा-दादा की कहानियों में। यदि ऐसे ही अवैध कब्जा होता रहा तो फिर बाकी तालाबों पर भी महल और लहलहाती फसल नजर आएगी। इसकी ¨चता न हाकिमों को है और न आवाम को कि तालाब नहीं बचेंगे तो भावी पीढ़ी का क्या होगा?

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भूजल में खतरनाक गिरावट से बागपत देश के डार्क जोन में शामिल है। यूपी में बागपत ऐसा जिला है, जहां प्रति वर्ष सर्वाधिक 70 सेमी तक भूजल स्तर में गिरावट हो चुकी है। बावजूद इसके भूजल अतिदोहन के साथ तालाबों का वजूद मिटाने में कसर नहीं छोड़ रहे हैं। भू रिकार्ड खंगालने से पता चला कि बागपत में 2000 हजार में 600 से ज्यादा तालाबों का वजूद मिट चुका है। बाकी तालाब वजूद बचाने की छटपटाहट में है।

अपवाद छोड़ें तो फिर ढूंढे से भी ऐसा तालाब नहीं मिलेगा, जिसपर थोड़ा बहुत अवैध कब्जा न हो। तालाब पाटकर खेतों में मिला लिए गए हैं। आबादी के बीच आए तालाबों पर मकान-दुकान बनी हैं। गांव छोड़िए, बड़ौत शहर में तालाब की जमीन बेचकर माफिया करोड़ों के वारे-के- न्यारे कर चुके हैं। यानी, लुप्त होते तालाब अब किस्से और कहानी बन चुके हैं।

चौपाल पर हुक्का गुड़गुड़ाते बुजुर्ग अब पोते-पोतियों को किस्से-कहानी सुनाते देखे जा सकते हैं-डाकू वाला तालाब पर लोग दिन में भी जाने से डरते थे, लेकिन डाकू और चोर ही नहीं तालाब हमारी संस्कृति और देश की आजादी के संघर्ष की दास्तान से भी जुड़े हैं। बसौद के पूर्व प्रधान सत्तार समेत तमाम उम्रदराज ग्रामीण गाहे-बगाहे हाकिमों और युवाओं को बड़ी शान से बताते हैं कि साहब! यह वही तालाब है जहां 10 मई 1857 को फिरंगी फौज ने देश की आजादी की लड़ाई लड़ने वाले 87 वीर सपूतों को गोलियों से भूनकर शहीदों की लाश फेंकी। अब यह तालाब बदहाल है। यह नमूना है वरना उन तालाबों की कमी नहीं जो संस्कृति और आजादी की लड़ाई के साक्षी हैं।

क्यों जरूरी तालाब

- पानी जमींदोज होने से भूजल स्तर ऊंचा उठता है।

- तालाब से पशुओं और पक्षियों की प्यास बुझती है।

- तालाब में बारिश के पानी से ¨सचाई कर सकते हैं।

- काफी हद तक पर्यावरण संतुलन बिगड़ने से बचता।

- गांव का पानी गांव व खेत का पानी खेत में रहता।

- तालाब में साफ पानी तो सूखे की मार कम पड़ती।

क्या न करें

- तालाबों पर अतिक्रमण व अवैध कब्जा नहीं करें।

- तालाबों में प्रदूषित पानी बिल्कुल भी न जाने दें।

- तालाबों के मूल स्वरूप के साथ खिलवाड़ न करें।

- तालाब साफ होने पर भूजल प्रदूषित नहीं होगा।

- तालाबों को पाटने वालों को संरक्षण भी नहीं दें।

- तालाबों में रसायनयुक्त पानी बिल्कुल नहीं डाले।

इन्होंने कहा..

तालाब, झीलों और समंदर से ही तो पानी चुराकर आसमान बरसाता है। लोग समझ नहीं रहे कि तालाब खत्म करने का मतलब है अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारना।

- कृष्णपाल ¨सह, अध्यक्ष, जल बिरादरी

तालाब नहीं बचेंगे तो फिर हमारा वजूद भी नहीं बचेगा। आखिर तालाब ही तो हमें और जमीन को पानी देते रहे हैं। तालाबों का वजूद बचाने को लोगों को जागरूक होना पड़ेगा।

- राजेंद्र ¨सह, जल पुरुष

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मुख्यमंत्री जल बचाओ अभियान में 1005 तालाब चिन्हित हुए हैं। इनमें 168 तालाब में प्रत्येक का एक हेक्टेयर से ज्यादा एरिया है। तालाबों की खुदाई और जीर्णोद्वार कराया जाएगा।

-जेपी रस्तोगी-सीडीओ


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