चेयरमैन की 'मोहर' को तरसते हैं सभासदों के प्रस्ताव
प्रदीप द्विवेदी, बागपत : नगर निकाय के निर्वाचित सदन में चेयरमैन होते हैं और सभासद भी। मौजूदा व्यवस्थ
प्रदीप द्विवेदी, बागपत : नगर निकाय के निर्वाचित सदन में चेयरमैन होते हैं और सभासद भी। मौजूदा व्यवस्था में चेयरमैन ही तय करता है कि नगर में क्या विकास होना है और क्या नहीं? सभासदों की भूमिका महज बोर्ड बैठक की खानापूर्ति के लिए रह गई है। हाल यह है कि सभासदों के प्रस्ताव चेयरमैनों की मोहर के लिये तरस जाते हैं। केंद्र सरकार आगामी पांच वर्षों में देश में 100 स्मार्ट सिटी तैयार करेगी। ऐसे में आवेदन करने वाले शहरों के बीच प्रतिस्पर्धा होगी। इसके लिए यह भी अनिवार्य शर्त है कि नगर निकायों में सभासदों के प्रस्ताव पारित हों और उनको को वेबसाइट पर भी दर्ज कराया जाए। पर, बागपत की तो किसी नगर पालिका या पंचायत की ऐसी कोई तैयारी नहीं दिखती।
अगर जनपद को स्मार्ट सिटी में शामिल कराना है तो सभी नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों को अपने-अपने स्तर से बेहतर कदम उठाने होंगे जिससे इस प्रतिस्पर्धा में शामिल हो सकें। चुनौती बेहद कड़ी है क्योंकि स्मार्ट सिटी के चयन में भाग लेने के लिए जो भी जरूरी शर्तों से बागपत कोसों दूर है।
शान-मान तक सीमित न रह जाएं सभासद
नगर पालिका या नगर पंचायत में सभासदों का विकास कार्यों से सरोकार इसलिए भी कम रह जाता है क्योंकि सभी अधिकार चेयरमैन के पास होते हैं। इनकी भूमिका वार्ड में सीसी रोड लगवाने तक ही सीमित रह जाती है।
हम उठा रहे बेहतर कदम
सभासदों के प्रस्ताव सुने जाते हैं और उन्हें पारित भी कराया जाता है। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनका विकास से मतलब नहीं। रही बात इसे वेबसाइट पर डालने की तो वेबसाइट बनने पर पारित प्रस्ताव डाल दिए जाएंगे। नगर के विकास के लिए बेहतर कदम उठाए जा रहे हैं।
-एड. राजूद्दीन, चेयरमैन, नगर पालिका परिषद बागपत।
बड़ौत नगर पालिका शहर को स्मार्ट बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी। सभी सभासदों के प्रस्ताव सुने जाते हैं। वेबसाइट निर्माणाधीन है। शीघ्र ही पूरी कर सभी जानकारी व ब्यौरे डाल दिए जाएंगे।
-केपी मलिक, चेयरमैन, बड़ौत नगर पालिका परिषद।