'हम बैठे थे..अचानक धरती हिलने लगी'
बड़ौत : 'भूकंप के झटकों ने एक बारगी तो ऐसा अहसास कराया कि सब कुछ नेस्तनाबूत हो जाएगा। सब कुछ सामान्य
बड़ौत : 'भूकंप के झटकों ने एक बारगी तो ऐसा अहसास कराया कि सब कुछ नेस्तनाबूत हो जाएगा। सब कुछ सामान्य था कि अचानक धरती हिलने लगी। हम बैठे हुए थे, सब कुछ डोलने लगा तो जान बचाने के लिए हम भी भाग लिए। लगातार दो बार आए भूकंप से सब सहम गए थे।' 'दैनिक जागरण' ने नागरिकों से बात की तो उन्होंने कुछ इन शब्दों में घटना को बयां किया।-
मैं उस समय अपने घर में कुछ घरेलू कार्य कर रहा था। अचानक धरती डोलनी शुरू हो गई। आनन-फानन में मोहल्ले के लोग घरों से बाहर निकल आए। घरों के बाहर लगी शोपीस की वस्तुएं भी भूकंप से हिलती नजर आई।
नवीन कुमार अग्रवाल
मैं अपनी दुकान में बैठा हुआ था। धरती हिली तो मैं दुकान से बाहर दौड़ पड़ा। मेरे पड़ोस में एक दुकान में दरार आ गई है। एक बारगी ऐसा लगा कि भूकंप सब नेस्तनाबूत कर देगा, लेकिन चंद लम्हों बाद वह खत्म हो गया तो राहत की सांस ली।
विनोद गोयल
मैं अपने घर से बाजार जाने के लिए निकल रहा था। दरवाजे तक ही पहुंचा था कि भूकंप से मेरे घर का दरवाजा हिलने लगा। मैंने भागकर शोर मचा दिया तो परिवार के लोग भी भूकंप के डर से बाहर निकल भागे।
मनीष
मैं अपनी दुकान में बैठा था। तभी धरती हिलने लगी। मेरी कुर्सी भी हिली तो भूकंप का अहसास हुआ, लेकिन 30 से 40 सेकेंड तक चले भूकंप से मैं सहम सा गया था। मेरे आसपास काम करने वाले लोग भी बैचेन हो गए।
आदीश जैन
धरती डोलने लगी तो मेरा पूरा घर हिलने लगा। उस समय मैं छत पर था। घर हिला तो एक बार सुध-बुध खो सा गया। पता ही नहीं चला कि कैसे घर से बाहर निकलूं। मैं छत पर घुटने टेककर बैठ गया। तब राहत की सांस ली। अंकुर