बागपत में 1.20 लाख लोग अंगूठाछाप
जहीर हसन, बागपत : बागपत की ख्याति केवल शुगर बाउल के रूप में ही नहीं है, बल्कि वह सियासत, खेल, शिक्ष
जहीर हसन, बागपत : बागपत की ख्याति केवल शुगर बाउल के रूप में ही नहीं है, बल्कि वह सियासत, खेल, शिक्षा और बालीवुड में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा देश-दुनिया में परचम लहरा रहा है। इस उर्वरा भूमि की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि विश्वभर में अपने गन्ने से मिठास घोलने वाले इस छोटे से जिले ने जहां सैकड़ों पहलवान और निशानेबाज पैदा किए, वहीं तमाम लोग फिल्मी पर्दे पर भी अपनी कला और मेधा का कमाल दिखा रहे हैं। इसका एक स्याह पहलू यह भी है कि इस हाइटेक युग में अभी भी बागपत में करीब सवा लाख लोग अंगूठाछाप यानी निरक्षर हैं।
आजादी के 68 साल बाद भी किसान मसीहा व पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चौधरी चरण सिंह की कर्मभूमि बागपत में काफी अधिक लोग अंगूठाछाप हैं। बागपत के राष्ट्रीय राजधानी के पास होने के बावजूद इतनी बड़ी संख्या में निरक्षरों का होना किसी कलंक से कम नहीं है। यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि इसका खुलासा साक्षर भारत मिशन के सर्वे में हुआ है। इसमें बागपत में 1.20 लाख से ज्यादा लोग निरक्षर यानी अंगूठाछाप हैं। यह हाल तब है जबकि अंतरराष्ट्रीय खेल शूटिंग और कुश्ती में जिले में पांच अर्जुन अवार्डी खिलाड़ी हैं।
दरअसल, साक्षर भारत मिशन के तहत बागपत के सभी 290 गांवों में सर्वे कराया गया, जिसकी रिपोर्ट में निरक्षर लोगों के चौंकाने वाले आंकड़े मिले। ब्लाक वार यह रिपोर्ट शिक्षा विभाग को मिल चुकी है। इस रिपोर्ट के अनुसार, खेकड़ा ब्लाक में 16569, बागपत में 27659, बिनौली में 33552 व बड़ौत में 26502 निरक्षर मिले हैं। बाकी 26 हजार से ज्यादा निरक्षर लोग पिलाना और छपरौली में हैं। यदि 15 साल के निरक्षर बच्चों को शामिल करें तो अंगूठा छाप की संख्या और ज्यादा होगी। इनमें भी महिलाओं की संख्या अधिक है। बता दें कि बागपत की आबादी 13.75 लाख है। साक्षर भारत के जिला समन्वयक अमित यादव भी इन आंकड़ों से हैरत में हैं। यह बात और है कि शिक्षा की अलख जगाने को सरकार सर्व शिक्षा अभियान तथा साक्षर भारत मिशन पर हर साल करोड़ों का बजट पानी की मानिंद बहाने में कसर नहीं छोड़ती हैं। 31 मार्च को खत्म हुए वित्त वर्ष में ही सरकार बागपत में शिक्षा पर करीब 150 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है, मगर इस जिले से अभी भी निरक्षरता का कलंक हटना बाकी है।
जहां से शुरू हुआ मिशन, वहीं हुए नाकाम
बागपत : भारत सरकार ने यूपी में निरक्षरता मिटाने को सन् 2011 में साक्षर भारत मिशन की शुरुआत बागपत से की थी। सभी 237 ग्राम पंचायतों में लोक शिक्षा केंद्र खुले, लेकिन आज तक निरक्षरता नहीं मिटी। हां, इतना अवश्य हुआ कि निरक्षरों की परीक्षा अवश्य होती रही है। दरअसल, उन निरक्षरों की परीक्षा कराई जाती है जो किसी तरह खुद के दम पर पढ़ना-लिखना जान जाते हैं। साक्षरता भारत मिशन की दूसरी उपलब्धि यह है कि आए दिन लोक शिक्षा प्रेरक कभी मानदेय भुगतान को लेकर तो कभी दूसरी समस्या पर धरना प्रदर्शन करते रहते हैं, लेकिन लाख टके का सवाल है कि निरक्षरता कैसे मिटेगी?
इन्होंने कहा..
निरक्षरों को साक्षर बनाने की योजना बनी है। लोक शिक्षा केंद्रों के सत्यापन को टीमों का गठन भी किया है। खंड शिक्षा अधिकारियों से इन लोक शिक्षा केंद्रों का सत्यापन करेंगे। स्कूल समय में जो लोक शिक्षा केंद्र बंद मिलेगा, उसके प्रेरक के खिलाफ कार्रवाई होगी। साक्षरता भारत मिशन बागपत में सही चल रहा है।
- डा. एमपी सिंह, बीएसए , बागपत।