वेस्ट यूपी : बागपत के किसान सबसे ज्यादा परेशान
जागरण संवाददाता, बड़ौत : देश-दुनिया का पेट भरने वाला अन्नदाता खुद भूखा है। इंसानी चोट के बाद ऊपर व
जागरण संवाददाता, बड़ौत :
देश-दुनिया का पेट भरने वाला अन्नदाता खुद भूखा है। इंसानी चोट के बाद ऊपर वाले ने भी उन्हें जख्म ही दिए। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बागपत इकलौता ऐसा जिला है, जहां के किसान सबसे अधिक परेशान हैं। जिले में चार मौत हो चुकी है। करोड़ों रुपया बैंकों व साहूकारों का कर्ज है, लेकिन फिर भी किसानों की सुनने वाला शासन-प्रशासन कुंभकर्णी नींद से नहीं जाग रहा है। सदैव, सब्जबाग दिखाने वाले जनप्रतिनिधियों के आश्वासन भी बीरबल की खिचड़ी बनकर रह गए हैं।
बागपत में करीब 1.25 लाख किसान हैं, जिनकी रोजी-रोटी का जरिया खेतीबाड़ी के अलावा कुछ नहीं है। एक आंकलन के मुताबिक, जिले के करीब 80 फीसद किसानों की हालत बद से बदतर है। उनकी आर्थिक स्थिति बुरी तरह चरमरा गई है। किसानों पर बैंकों व साहूकारों का करीब 1500 करोड़ रुपये का कर्ज है। मलकपुर चीनी मिल ने बकाया गन्ना भुगतान तक नहीं दिया है। दूसरी सुविधाओं का लाभ भी किसानों तक नहीं पहुंच रहा है। इस स्थिति में टीकरी के किसान रामवीर व ढिकाना के किसान राहुल ने खुदकुशी कर ली थी। हाल ही में हुई बारिश के कारण किसानों की फसलें तबाह हुई तो कर्ज में डूबे दाहा के रणधीर व खामपुर गांव के सतेंद्र की गम में मौत हो गई।
कृषि विशेषज्ञ व पूर्व विधायक प्रो. महक सिंह का कहना है, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बागपत के किसान सबसे अधिक परेशान हैं। यहां पर अभी तक सबसे अधिक मौत हुई है। दूसरे जिलों के किसान भी परेशान हैं, लेकिन सरकार इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है।
'सरकार है जिम्मेदार'
भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह व वरिष्ठ कार्यकर्ता उपेंद्र तोमर का कहना है, सरकार इस सबकी जिम्मेदार है। जो सरकार पांच मौत के बाद भी नहीं जाग रही है तो फिर वह विकास क्या करेगी? किसानों को हमेशा सब्जबाग दिखाए जा रहे हैं।
इन्होंने कहा..
फसलों का सर्वे कराया जा रहा है। सर्वे के बाद पता चलेगा कि कुल कितना नुकसान हुआ है। मार्च में जो सर्वे हुआ था उसमें तीस फीसदी नुकसान की रिपोर्ट आई जिससे शासन से क्षतिपूर्ति मिलना मुश्किल है। पचास फीसदी से कम पर क्षतिपूर्ति मिलने का नियम नहीं है।
डा. धुरेंद्र कुमार, उप निदेशक कृषि।