मीठा 'जहर' न लील ले किसी की जिंदगी
बड़ौत : रंगों के त्योहार होली पर बाजार की मिठाइयां संभल कर खाएं। बाजारों में परोसा जाने वाला मीठा 'जह
बड़ौत : रंगों के त्योहार होली पर बाजार की मिठाइयां संभल कर खाएं। बाजारों में परोसा जाने वाला मीठा 'जहर' किसी की जिंदगी भी लील सकता है। क्षेत्र के कई गांवों में दिन-रात चल रही सिंथेटिक मावा की भट्ठियों पर बिना दूध के कई-कई कुंतल मावा तैयार किया जा रहा है, जिसे बाजार में उतारने की तैयारी भी शुरू हो गई है।
त्योहार कोई भी हो, जश्न होना लाजिमी है। होली-दीपावली पर तो आनंद लेने की उत्सुकता और भी बढ़ जाती है। इस बार भी होली को लेकर घर-घर तैयारियां शुरू हो गई हैं। ऐसे खास मौके पर सिंथेटिक मावा का कारोबार एक बार फिर चरम पर है। बड़ौत क्षेत्र के धनौरा सिल्वर नगर, बिनौली, निरपुड़ा, बावली, बड़ौली व आदि कई गांवों में दिन-रात नकली मावा बनाया जा रहा है।
लोगों का कहना है, बिना दूध के ही पाउडर से कई-कई कुंतल मावा बनाया जा रहा है, जिसे रात में दिल्ली सप्लाई कर दिया जाता है। कुछ प्रतिशत स्थानीय हलवाइयों के यहां भी बेचा जाता है। होली को लेकर बाजारों में नकली मावा की मिठाइयों की बिक्री भी शुरू हो गई है।
क्या है सिंथेटिक मावा?
कम लागत में मावा तैयार करने के लिए कुछ लोग दूध पाउडर से मावा बनाते हैं, जिसका वजन बढ़ाने के लिए उबले हुए आलू, कुछ केमिकल और यूरिया खाद डालते हैं। दूध वाले असली मावा की आधी से भी कम लागत में सिंथेटिक मावा बन जाता है। वह असली जैसा लगता है, लेकिन छूने पर उसे आसानी से पहचाना जा सकता है। उसमें हल्की खाद जैसी बदबू भी आती है। मावा इन दिन गुजिया में खूब प्रयोग हो रहा है।
ये हो सकती हैं बीमारियां
डा. पवन जैन बताते हैं, सिंथेटिक मावा से बनी मिठाइयां खाने से त्वचा रोग, उल्टी-दस्त, मुंह में छाले पड़ना आदि बीमारिया हो सकती हैं। इसका लीवर पर भी बड़ा दुष्प्रभाव पड़ता है।
इन्होंने कहा..
मेरी जानकारी में यह मामला नहीं है। यदि ऐसा है तो तत्काल इसकी जांच कराई जाएगी।
-विजय प्रभा, जिला आपूर्ति अधिकारी।