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गजलों में हो रहा परिवर्तन सुखद : मंगल

संवाद सहयोगी, बड़ौत : अंतरराष्ट्रीय गजल गायक मंगल नसीम गजलों में वर्तमान में हो रहे परिवर्तन को सुखद

By Edited By: Published: Tue, 03 Mar 2015 06:29 PM (IST)Updated: Tue, 03 Mar 2015 06:29 PM (IST)
गजलों में हो रहा परिवर्तन सुखद : मंगल

संवाद सहयोगी, बड़ौत : अंतरराष्ट्रीय गजल गायक मंगल नसीम गजलों में वर्तमान में हो रहे परिवर्तन को सुखद मानते हैं। उनके मुताबिक, पुराने समय की अपेक्षा वर्तमान में गजल ने विविध आयामों को छुआ है।

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प्रसिद्ध गजल गायक मंगल नसीम मंगलवार को जनता वैदिक कालेज में आयोजित एक पुस्तक के विमोचन समारोह में शिरकत करने आए थे। पत्रकार वार्ता में उन्होंने मां पर लिखी प्रसिद्ध गजल की दो लाइनें सुनाते हुए कहा, क्या सीरत क्या सूरत थी मां ममता की मूरत थी, पांव छुए और काम हुए अम्मा एक मुहूरत थी। पुराने और नए जमाने की गजलों के अंतर के सवाल पर उन्होंने कहा कि पुरानी गजलों के विषय काफी सीमित रहे, जिनमें पाजेब, जुल्फें, कानों की बाली आदि के इर्द-गिर्द गजलें लिखी गईं। बदलते समय की गजलों ने अपने आप को बदला है। गजलों ने केवल हुस्न-इश्क तक ही नहीं वरन सामाजिक विसंगतियों तक भी पहुंच बनाई है। प्रासंगिक घटनाएं भी गजल का विषय बन रही हैं। गजल के भविष्य पर उन्होंने कहा कि साहित्य में गजल एक ऐसी विधा है, जिसने अनेक झंझावातों में खुद को सुरक्षित रखा है। अब तो गजल में गंगा-जमुनी तहजीब का भी मिलन होने लगा है।


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