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50 हजार वर्ग गज में बना है त्रिलोकतीर्थ धाम

विश्व बंधु शास्त्री, खेकड़ा : जैनाचार्य विद्याभूषण सन्मति सागर महाराज की प्रेरणा व आशीर्वाद से पूर्ण

By Edited By: Published: Sat, 14 Feb 2015 10:40 PM (IST)Updated: Sat, 14 Feb 2015 10:40 PM (IST)
50 हजार वर्ग गज में बना है त्रिलोकतीर्थ धाम

विश्व बंधु शास्त्री, खेकड़ा : जैनाचार्य विद्याभूषण सन्मति सागर महाराज की प्रेरणा व आशीर्वाद से पूर्ण हुआ बड़ागांव का त्रिलोकतीर्थ धाम विश्व की अनुपम कृति साबित होगा। माना जा रहा है कि त्रिलोकतीर्थ जैन दर्शन की यश पताका को दूर दूर तक फैलाने में सक्षम होगा।

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त्रिलोकतीर्थ का संक्षिप्त परिचय

करीब दो अरब की कीमत से निर्मित त्रिलोकतीर्थ धाम का निर्माण वर्ष 2000 से अनवरत जारी है। धाम के प्रबंधक त्रिलोकचंद जैन व मीडिया प्रभारी श्यामलाल जैन ने बताया कि धाम का शिलान्यास दिल्ली प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा व प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल सूरजभान समेत कई राजनेताओं व समाजसेवियों के सानिध्य में हुआ था। करीब 50 हजार वर्ग गज में निर्मित त्रिलोकतीर्थ धाम की ऊंचाई करीब 317 फुट है, जिसका कुछ भाग 100 फुट जमीन के नीचे और शेष जमीन के ऊपर है। 17 मंजिलों के इस तीर्थ में ऊपर जाने व उतरने के लिए दो लिफ्ट लगी हैं। धाम की ऊपरी मंजिल पर सबसे ऊपर 31 फुट ऊंची भगवान आदिनाथ की अष्ट धातु से निर्मित पद्मासन प्रतिमा विराजमान है। तीनों लोकों अधोलोक, मध्य लोक व उ‌र्ध्वलोक की संकल्पना इस धाम में की गई है। धाम के अंदर ही 458 चैत्यालयों व मंदिरों का निर्माण किया गया है। मंदिर में प्रयुक्त मकराना पत्थर राजस्थान से मंगाया गया है।

शोध का केंद्र बनेगा त्रिलोकतीर्थ

मीडिया प्रभारी श्याम लाल जैन ने बताया, त्रिलोकतीर्थ धाम देश ही नही बल्कि विदेशों में भी जैन दर्शन व सिद्धांत की यश पताका को फैलाने में सक्षम साबित होगा। तीर्थ के अंदर निर्मित तीन लोक की रचना लोगों के लिए आकर्षक, कौतूहल व मनोरंजन की विषय वस्तु होगी। देश विदेश के वैज्ञानिकों को तीनों लोक की खोज करने के लिए भी प्रोत्साहित करेगी। धर्म दर्शन के विद्वानों के मन में शोध के नए आयाम स्थापित होंगे। धाम में बनाए गए तीनों लोकों में पाप-पुण्य, लाभ-हानि, सुख-दुख को साकार करने का प्रयत्‍‌न किया गया है। धाम के नीचे तीन मंजिल में स्थापित ज्ञान केंद्र, शोध संस्थान एवं ध्यान केंद्र के साथ नंदीश्वर द्वीप, मध्य लोक व समवशरण आदि रचनाएं लोगों का ध्यान आकर्षित करेगी। जिसमें 24 तीर्थकरों के स्वतंत्र मंदिर बनाए गए है, जिनमें पंचकल्याणक महोत्सव के दौरान 3600 प्रतिमाएं प्रतिष्ठित होगी। धाम में 8 करोड़ 56 लाख 97 हजार 481 चैत्यालयों की झांकी भी संक्षिप्त रूप से प्रदर्शित की जाएगी।

लालकिले से हो सकेंगे श्रीजी के दर्शन!

जैन संतों के साथ त्रिलोकतीर्थ धाम समिति के पदाधिकारियों में रमेश जैन, प्रमोद जैन व श्याम लाल जैन आदि जैन श्रद्धालुओं का दावा है कि धाम से करीब तीस किमी दूर दिल्ली के लालकिले से प्रतिमा के दर्शन करने संभव होंगे। साफ मौसम में इसे सूक्ष्मदर्शी यंत्र की मदद से देखा जा सकेगा।


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