पाषाण को भगवान बनाने की क्रिया ही पंचकल्याणक : ज्ञानसागर
जागरण संवाददाता, खेकड़ा : जैन संत आचार्य ज्ञानसागर महाराज ने प्रवचन करते हुए कहा कि पाषाण को भगवान बन
जागरण संवाददाता, खेकड़ा : जैन संत आचार्य ज्ञानसागर महाराज ने प्रवचन करते हुए कहा कि पाषाण को भगवान बनाने की क्रिया का नाम ही पंचकल्याणक है। इस प्रक्रिया से पत्थर को मूर्त रूप देकर उसे भगवान बना दिया जाता है, जो पूजनीय हो जाता है।
शनिवार को त्रिलोकतीर्थ धाम परिसर में पंचकल्याणक विषय पर प्रवचन करते हुए जैन मुनि ने कहा, वैसे तो हर स्थान पर पत्थर पडे़ रहते हैं, यहां तक प्रतिमाएं भी कारीगरों के पास मौजूद रहती हैं। जब तक प्रतिमाओं का पंचकल्याणक नहीं होता, तब तक वे केवल पत्थर ही रहती है। जब विधि विधान से प्रतिमाओं का पंचकल्याणक हो जाता है तो उनमें भगवान की प्रतिष्ठा हो जाती है और पूजनीय हो जाते हैं। उन्होंने कहा, प्रतिमाओं का पंचकल्याणक केवल नग्न संत ही कर सकते हैं। उन्होंने कहा, यदि सच्चा सुख चाहते हो तो हर दिन देव दर्शन करना चाहिए। परोपकार के काम करने चाहिए। शिक्षा का प्रसार करना चाहिए। प्रवचन में श्याम लाल जैन, त्रिलोक चंद जैन, प्रमोद जैन, रमेश जैन जग्गी डेयरी, ओमप्रकाश जैन, प्रदीप जैन, विनोद जैन, अतुल जैन आदि अनेक श्रद्धालु मौजूद रहे।