पास होकर भी 'अपनों'ं से दूर
प्रहलाद खोखर, छपरौली (बड़ौत) : किसानों के मसीहा स्व. चौधरी चरण सिंह 'अपनों' के पास होते हुए भी बहुत द
प्रहलाद खोखर, छपरौली (बड़ौत) : किसानों के मसीहा स्व. चौधरी चरण सिंह 'अपनों' के पास होते हुए भी बहुत दूर हैं। उनकी यादें दिलों में जिंदा हैं तो, मन में एक टीस भी है। कस्बे के चौधरी चरण सिंह पुस्तकालय में रखी गई अंग्रेजी की किताबों को देसी 'बाबू' नहीं पढ़ पाते हैं, जिस कारण वे क्षुब्ध भी है, परंतु उन्हें खुद के ऊपर गर्व भी है।
बागपत जिले की छपरौली विधानसभा से चौधरी साहब के असली राजनीतिक कॅरिअर की शुरुआत हुई थी। उनके प्रति यहां लोगों के दिलों में इतना प्यार हो गया कि जैसे चोली-दामन का साथ। बड़े चौधरी जहां भी जाते, वहीं छपरौली वालों को अपने साथ लेकर जाते। हर पल चौधरी साहब के साथ रहकर छपरौली के नागरिक उन्हें अपने परिवारों का मुखिया तक मानने लगे थे। उन्हीं की याद में छपरौली कस्बे में चौधरी चरण सिंह पुस्तकालय बनाया गया है, जहां कई ऐसी दुर्लभ पुस्तकें हैं जो चौधरी साहब ने स्वयं लिखी थी और देशभर के राजनीतिज्ञ दिग्गजों ने उन्हें भेंट की थी।
विडंबना यह है, पुस्तकालय में आधा दर्जन से अधिक ऐसी पुस्तकें हैं, जिन्हें सैकड़ों लोग पढ़ नहीं पाते। उनका ¨हदी वर्जन दिल्ली में तो है, लेकिन छपरौली में नहीं। कई बार गृह मंत्रालय से ¨हदी वर्जन मंगवाने की भी गुहार लगाई गई, लेकिन किसी ने एक नहीं सुनी।
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बा ले नागरिक..
छपरौली निवासी डा. राजीव, सतीश, रविंद्र, महीपाल, प्रेमपाल, सुधीर कुमार, राजू, रितेश का कहना है, ¨हदी वर्जन होने से लोग चौधरी साहब की पुस्तकों को पढ़ सकते हैं। कई लोगों को अंग्रेजी नहीं आती है, जिससे लोग क्षुब्ध भी हैं, लेकिन उन्हें गर्व है कि उनके पास ऐसी दुर्लभ पुस्तकें उपलब्ध हैं।