अब दुनिया जानेगी पश्चिमी यूपी का इतिहास
बागपत : पश्चिमी उप्र की माटी के गर्भ में दफन महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहरों और विरासतों के पुरावशेष अब
बागपत : पश्चिमी उप्र की माटी के गर्भ में दफन महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहरों और विरासतों के पुरावशेष अब लिपिबद्ध दस्तावेजों के रूप में देश-दुनिया के समक्ष अपनी पहचान पुख्ता करेंगे। शहजाद राय शोध संस्थान की शोध विमर्श समिति के एक दशक के अथक प्रयास के बाद पश्चिमी उप्र के पुरातत्व व संस्कृति को एक पुस्तक में संकलित किया गया है, जिसका प्रथम संस्करण नूतन वर्ष तक बाजार में आ जाएगा।
रविवार के शोध विमर्श समिति के सदस्य डा. अमित पाठक नगर में मौजूद थे। नगर की जैन स्थानक मंडी में आयोजित प्रेस वार्ता में उन्होंने पश्चिमी उप्र के इतिहास से जुड़े समिति के उक्त अनूठे संकलन पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि 'हिस्ट्री एंड कल्चर ऑफ वेस्टर्न उत्तर प्रदेश' शीर्षक से आने वाली इस पुस्तक में पश्चिमी उप्र के इतिहास, पुरातत्व, संस्कृति पर किए जा रहे अनुसंधानों और प्रयासों का गहनतम एवं विस्तृत लेखन किया गया है। पश्चिमी उप्र के इतिहास को संजोने वाली अपनी तरह की पहली पुस्तक को दो खंड में बांटा गया है। लगभग 700 पन्नों में यहां की दुर्लभ विरासत को दुनिया के समक्ष लाने का प्रयास किया गया है। बताया कि पुस्तक में सन् 2005 में शहजाद राय शोध संस्थान के इतिहासकारों की पहल पर सिनौली गांव में एएसआई द्वारा कराए गए उत्खनन से लेकर सन् 2014 तक संस्थान की विमर्श समिति द्वारा जुटाए गए तथ्यों और शोधों को संजोया गया है। इस पुस्तक के माध्यम से मानव सभ्यता के प्रारंभिक युगीन संस्कृति से लेकर विभिन्न कालखंडों में पश्चिमी उप्र, यहां के रीति-रिवाज, खान-पान, कृषि, सभ्यता-संस्कृति के बारे में जाना जा सकेगा।