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अकूत पुरा संपदा उगल सकती है चंदायन साइट

बड़ौत (बागपत) : सिनौली उत्खनन क्षेत्र के बाद अब चंदायन साइट भी क्षेत्रवासियों के लिए कौतूहल का विषय ब

By Edited By: Published: Sun, 30 Nov 2014 11:28 PM (IST)Updated: Sun, 30 Nov 2014 11:28 PM (IST)
अकूत पुरा संपदा उगल सकती है चंदायन साइट

बड़ौत (बागपत) : सिनौली उत्खनन क्षेत्र के बाद अब चंदायन साइट भी क्षेत्रवासियों के लिए कौतूहल का विषय बन गई है। इस साइट से न सिर्फ अतीत से पर्दा उठ सकता है, बल्कि यह आसपास के लोगों के लिए रोजगार का जरिया भी बनेगी। पुरातत्व विभाग के अधिकारियों समेत करीब 150 लोग सोमवार से उत्खनन कार्य शुरू कर देंगे।

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चंदायन गांव में उत्खनन कार्य सोमवार से युद्धस्तर पर शुरू होने जा रहा है। इसके लिए एक टीम गठित की गई है, जिसके मुखिया उत्खनन शाखा द्वितीय के अधीक्षण पुरातनविद् डा. प्रोफेसर एके पांडेय होंगे। इनके अलावा सहायक पुरातनविद् के रूप में जीएम फोनिया, विनय कुमार राय, मिस ऐमिली, निधि आदि शामिल हैं। शहजाद राय शोध संस्थान के निदेशक अमित राय जैन ने बताया, सोमवार को पंद्रह लोगों का स्टाफ और आ जाएगा। उस टीम में फोटोग्राफर, सर्वेयर, मृदभांड निरीक्षक, पुरा सामग्री निरीक्षक आदि शामिल हैं। उत्खनन में ग्रामीणों का भी सहयोग लिया जाएगा।

उन्होंने बताया, करीब 60 से 80 लोगों को यहां रोजगार मिलेगा। उनकी दिहाड़ी प्रतिदिन के हिसाब से 270 रुपये निर्धारित की गई है। ग्रामीणों से खुदाई, निगरानी व अन्य कार्य लिया जाएगा। सोमवार से पूरी टीम अपना डेरा डाल लेगी और उत्खनन चलने तक यहीं पर रहेगी।

सिनौली जैसा इतिहास रच सकती है चंदायन साइट

बड़ौत : बड़ौत तहसील के सिनौली गांव की साइट इतिहास के पन्नों पर स्वर्णिम हस्ताक्षर कर विश्व को चौंका चुकी है। अंतर्राष्ट्रीय पटल पर छाई इस साइट ने इतिहास के परतों को खोल कई बड़े सवाल खड़े कर दिए।

ऐसे प्रकाश में आया था सिनौली

2005 में सिनौली गांव निवासी प्रभात शर्मा अपने खेत को समतल करने के लिए मिट्टी उठवा रहे थे। खुदाई के दौरान वहां सिंधु व हड़प्पाकालीन सभ्यता के मृदभांड, बेशकीमती मनकें, एक तलवार, ताम्रनिधि की धातु समेत कई कंकाल आदि धरोहर प्राप्त हुई। करीब ढाई साल चली खुदाई के बाद सरकार ने द्वितीय चरण की खुदाई के लिए कोई खास कार्रवाई नहीं की, जिससे वर्तमान में खुदाई बंद है। इसमें प्रशासन की भी लापरवाही रही है।

सोने की भी पुष्टि

सिनौली साइट में खुदाई के दौरान मिले करीब 16 वर्षीय लड़की के कंकाल से पुष्टि हुई कि उस समय लोग सोने का भी इस्तेमाल करते थे। क्योंकि कंकाल के गले में एक सोने की हसली और हाथों में सोने के कंगन थे।


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