सिंघम बनने की चाह, भले ही कानून की धज्जियां उड़ें
पंकज तोमर, बड़ौत फिल्म सिंघम की तर्ज पर आजकल कुछ वर्दीवाले भी फिल्म अभिनेता अजय देवगन के स्टाइल मे
पंकज तोमर, बड़ौत
फिल्म सिंघम की तर्ज पर आजकल कुछ वर्दीवाले भी फिल्म अभिनेता अजय देवगन के स्टाइल में जनता को कानून का पाठ पढ़ा रहे हैं। कोई हाथों में पिस्टल लेकर चलता है तो कोई बिना होल्स्टर (खोल) के पिस्टल को अपनी बराबर में टांग लेता है। तमाम नियमों की धज्जियां उड़ा रहे इन पुलिसवालों पर शायद अंकुश लगाने वाला अब कोई नहीं है। बागपत जिले में करीब एक दर्जन पुलिसवाले सरकारी असलाह का खुला प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मंशा चाहे कुछ भी हो, लेकिन आंखों पर लगा काला चश्मा और असलाह का खुला प्रदर्शन यही दर्शाता है कि वह अब 'सिंघम' हो गए हैं। स्टाइल भी कुछ ऐसा ही होता है। बागपत के अलावा बड़ौत शहर में भी कुछ ऐसे 'सिंघम' नजर आना आम बात हो गई है।
यह हैं नियम
कोई भी पुलिसकर्मी सरकारी असलाह का इस तरह खुला प्रदर्शन नहीं कर सकता है। यदि किसी विशेष आपरेशन में है तो इस तरह हथियार रखा जा सकता है, अन्यथा उसे कवर के अंदर ही रखना होता है।
जोखिम में जान
'सिंघम' बनने का यह स्टाइल कहीं भी किसी भी पुलिसकर्मी की जान जोखिम में डाल सकता है। खुलासा हथियार रखने से उसका ट्रिगर दबने की आशंका बनी रहती है। होल्स्टर में हथियार होगा तो एक बारगी खतरा कम हो जाता है।
युवाओं पर गलत असर
मनौवैज्ञानिक डा. ज्योत्सना शर्मा कहती हैं, इस तरह हथियारों का खुला प्रदर्शन गलत है। इससे युवाओं पर भी गलत असर पड़ता है। वह भी इसी स्टाइल में खुद को डालने का प्रयास कर सकते हैं।
ऐसा नहीं होना चाहिए
बागपत जिले में वरिष्ठ एडवोकेट सोमेंद्र सिंह ढाका का कहना है, यदि ऐसा है तो बहुत गलत है। इससे पुलिसकर्मी की भी जान खतरे में पड़ सकती है और यह नियमों का भी उल्लंघन है। ऐसा नहीं होना चाहिए।
इन्होंने कहा..
किसी विशेष आपरेशन के समय बिना होल्स्टर के हथियार को रखा जा सकता है। हालांकि उसमें लॉक होता है, जिससे असलाह के चलने का तो सवाल ही नहीं होता है। फिर भी यदि पुलिसकर्मी कोई ऐसा कर रहा है तो जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।
-जेके शाही, एसपी-बागपत