'उजाले' के बाद फैला 'तमस' का साम्राज्य
संवाद सहयोगी, बड़ौत : प्रकाश का उत्सव मात्र औपचारिकताओं में ही सिमट गया। इसमें निहित सामाजिक उत्थान औ
संवाद सहयोगी, बड़ौत : प्रकाश का उत्सव मात्र औपचारिकताओं में ही सिमट गया। इसमें निहित सामाजिक उत्थान और कुरीतियों को दूर करने का कहीं कोई संकल्प दिखाई नहीं दिया। दरअसल, गुरुवार को दीपावली का पर्व धूमधाम से मनाया गया। उजास के इस पर्व में पटाखों का धूमधड़ाका और मिष्ठान का आनंद सभी ने लिया, मगर आयोजन के बाद जगह-जगह पटाखों, मिठाई के खाली डिब्बों आदि के अवशेष पड़े देख जा सकते हैं। मानो सफाई के उजाले के बाद फिर से गंदगी के तमस ने अपना साम्राज्य फैला लिया हो।
दीपावली धार्मिक अनुष्ठानों के साथ पारंपरिक तरीके से हर्षोल्लास के साथ पूर्ण किया गया। दशहरे के बाद से ही सभी अपने घरों और आसपास के वातावरण को शुद्ध व स्वच्छ करने के लिए प्रयास शुरू कर दिए थे, ताकि दीपावली की रात्रि धन की देवी उनके घर आकर विराजमान हो और उनके धन-धान्य में दिन दूनी और रात चौगुनी वृद्धि हो। विभिन्न सामाजिक संगठनों की तरफ से धुआं रहित साफ सुथरी दीपावली मनाने की अपीलें भी बार-बार की गईं। लोगों ने बुराइओं से दूर रहने और अपने पर्यावरण को स्वच्छ बनाने की कसमें भी खाईं, लेकिन ये सब कवायद मात्र एक ड्रामा ही साबित हुईं, क्योंकि दीपोत्सव के बाद नगर में जगह-जगह गंदगी नरक ने डेरा जमा लिया। इसकी सुध न तो नगर पालिका को रही और न ही नगरवासियों ने अपनी कोई जिम्मेदारी समझी। बहरहाल, प्रधानमंत्री के दो अक्टूबर को शुरू किए गए स्वच्छ भारत अभियान को भी इस संवेदनहीनता से ठेस ही पहुंची हैं।
इन्होंने कहा..
नगर की सफाई व्यवस्था दुरुस्त कराई जा रही है। गुरुवार को जमादारों के छुट्टी पर होने के कारण अव्यवस्था फैली रही।
-ब्रह्मापाल सिंह, सफाई निरीक्षक, बड़ौत।