दस महाविद्याओं में निपुण हैं मां कालरात्रि
जागरण संवाददाता, बागपत : मां भगवती के सातवें स्वरूप यानी मां कालरात्रि दस विद्याओं में निपुण हैं। इन
जागरण संवाददाता, बागपत : मां भगवती के सातवें स्वरूप यानी मां कालरात्रि दस विद्याओं में निपुण हैं। इनका स्वरूप भयंकर है, लेकिन यह सदैव शुभ फल देती हैं।
मंगलवार को मां भगवती के छठे स्वरूप मां कात्यायनी का पूजन विधि विधान से किया गया। मां कात्यायनी कुंवारियों को इच्छित वर का सौभाग्य प्रदान करती हैं। मंदिरों व घरों में मां का संपूर्ण श्रृंगार कर उनसे उत्तम फल प्राप्त करने की कामना की गई। मंदिरों में कुंवारी लड़कियों के साथ ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही। बाबा जानकी दास मंदिर दुर्गा सप्तशती का पाठ किया गया। इस मौके पर नारायण दास, राजेश गौतम, विजय कौशिक, सुरेश, रोहताश, सुमन, सरिता, भगवान देई, प्रियंका व शिवांशी आदि उपस्थित थी।
ज्योतिषाचार्य पंडित राजकुमार शास्त्री ने बताया कि नवरात्र का सातवां दिन मां काली यानी कालरात्रि का होता है। काली मां को दस महाविद्याओं में प्रथम स्थान प्राप्त है। इनकी पूजा करने से भूत, प्रेत, पिशाच, आधि, व्याधि, रोग, शोक सब दूर हो जाते हैं। काल इनके वश में रहकर इनकी आज्ञा का पालन करता है। माता काली का स्वरूप देखने में भयंकर लगता है, लेकिन यह सदैव शुभ फल देती हैं। जिनके बालक बालारिष्ट रोग से पीड़ित हैं, जिन बच्चों को नजर लगती है या जो बच्चे ऊपरी बाधाओं से ग्रसित हैं, उन बच्चों की माताओं को भगवती महाकाली की पूजा अनार की कली, लाल चंदन, इत्र, मंचमेवा, अनार फल से करनी चाहिए। इससे बच्चे दीर्घायु होते हैं। बच्चों को अभयता का वरदान देती हैं। महाकाली, इनके बिना संसार शून्य है। ये बहुत शीघ्र प्रसन्न होने वाली माता हैं। इनको कच्चे नारियल की बलि एवं पेठे की बलि अत्यंत प्रिय है। ये माता अजन्मा और अनित्य हैं।