पंचायतों से हांफ गया था पुलिस-प्रशासन
बागपत : सांप्रदायिक दंगों में फर्जी मुकदमों को लेकर जनपद में हुई एक के बाद एक पंचायत ने पुलिस-प्रशासन के होश उड़ाकर रख दिए थे। महिलाओं ने भी पंचायत कर संघर्ष की खुली चुनौती दे दी थी। पंचायतों को सक्रिय देख पुलिस-प्रशासन खासी टेंशन में आ गया था। फतेहपुर पुट्ठी और वाजिदपुर की महापंचायत टल जाने से अधिकारियों ने राहत की सांस ली थी।
पिछले साल सांप्रदायिक दंगों के दौरान घटनाओं में फर्जी नामजदगी को लेकर जनपद में पंचायतें सक्रिय हो गई थी। बामनौली, वाजिदपुर और फतेहपुर पुट्ठी आदि गांव के लोगों का आरोप था कि कई युवकों के खिलाफ पुलिस ने हत्या जैसी घटनाओं में फर्जी मुकदमे कायम कर दिए थे। इसी को लेकर जब पुलिस-प्रशासन ने लोगों की सीधी बात नहीं सुनी तो ग्रामीणों ने पंचायतों का सहारा ले लिया। एक के बाद एक कई पंचायत से जनपद का माहौल गरमा गया। खास बात यह रही कि पंचायतों में महिलाएं भी सक्रिय हो गई थी।
वाजिदपुर, बामनौली और दाहा में तो महिलाओं ने लाठी-डंडे लेकर पंचायत में भाग लिया और अधिकारियों को खुली चुनौती दे डाली कि यदि न्याय नहीं मिला तो वह संघर्ष को तैयार हैं। पुलिस-प्रशासन को सबसे ज्यादा टेंशन वाजिदपुर में दो अक्टूबर और फतेहपुर पुट्ठी में चार अक्टूबर को 36 बिरादरी की महापंचायत की घोषणा ने दी थी। हालांकि दोनों ही महापंचायतों को ग्रामीणों ने पहले ही स्थगित करने की घोषणा कर दी थी, लेकिन इसके बावजूद मुजफ्फरनगर की पंचायतों से सीख लेकर दोनों ही गांव को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया।
यहां हुई थी पंचायतें-
27 सितंबर-वाजिदपुर गांव में पूर्व विधायक डा. अजय कुमार की अध्यक्षता में पंचायत।
28 सितंबर-फतेहपुर पुट्ठी गांव में पंचायत, चार अक्टूबर को महापंचायत की घोषणा।
29 सितंबर-वाजिदपुर गांव में महिलाओं की पंचायत, दो अक्टूबर को महापंचायत की घोषणा।
29 सितंबर-बामनौली में महिलाओं ने पंचायत कर बाद में सरकार का पुतला फूंका।
29 सितंबर-शबगा गांव में भारतीय किसान यूनियन की पंचायत।
30 सितंबर-बामनौली गांव में महिलाओं की पंचायत।
30 सितंबर-छपरौली कस्बे में भारतीय किसान यूनियन की पंचायत।
30 सितंबर-बौड्ढा गांव में ग्रामीणों की पंचायत।
एक अक्टूबर-दाहा गांव में 36 बिरादरी की पंचायत।
चार अक्टूबर-तुगाना गांव में पंचायत।