'हत्यारे' प्रधान को अफसरों ने दी थी 'पनाह'
जागरण संवाददाता, बड़ौत : रुस्तमपुर बावली के दोहरे हत्याकांड के पीछे कहीं न कहीं अफसरों की भी 'भूमिका' रही है। यदि नाली के विवाद को दशकों पहले ही खत्म करा दिया होता आज पीड़ित परिवार को यह दिन नहीं देखना पड़ता। गांव में दबंगई दिखाने वाला प्रधान व उसके परिवार से ग्रामीण भी आजिज आ चुके थे, लेकिन दबंगई के सामना करने की हिम्मत कोई नहीं जुटा पाया।
ग्राम प्रधान देशपाल का सरकारी अफसरों से भी अच्छा खासा रिश्ता रहा है। आए दिन सरकारों दफ्तरों में बैठकर चाय पीने वाले ग्राम प्रधान को अधिकारी भी सहयोग करते थे। नाली के विवाद की शिकायत वीरसैन ने कई बार अधिकारियों से की। तहसील दिवसों व समाधान दिवसों के चक्कर लगा-लगाकर थक गया, लेकिन किसी ने उसकी एक न सुनी और ग्राम प्रधान को दफ्तरों में चाय पिलाते रहे। ग्रामीणों ने बताया कि देशपाल गांव में भी रायफल लेकर चलता था और लोगों को धमकाता था। पूर्व में भी उसका नाम लड़ाई-झगड़ों में आया है। आखिर, ऐसी कौन सी वजह थी कि सरकारी तंत्र प्रधान को इतना मानता था?
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दो घंटे पहले आए थे पीडी
हत्याकांड से दो घंटे पहले ही वहां बागपत के परियोजना निदेशक (पीडी) मथुरा प्रसाद मिश्र टीम के साथ तालाब देखने पहुंचे थे, जिसकी जलनिकासी के लिए नाली बनाई जा रही है और नाली वीरसैन के घर का कुछ हिस्सा तोड़कर निकाली जानी है। इस संबंध में पीडी का कहना है कि ग्रामीण विजयपाल सिंह, सुरेंद्र पाल, अशोक कुमार, महक सिंह, राजवीर, जयवीर सिंह आदि ने तहसील दिवस में शिकायत की थी, जिसकी जांच करने वह रुस्तमपुर बावली गए थे। हालांकि उस समय वहां प्रधान मौजूद नहीं था।