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काश, इस परिवार में भी कोई सिपाही होता

By Edited By: Published: Thu, 21 Aug 2014 11:40 PM (IST)Updated: Thu, 21 Aug 2014 11:40 PM (IST)
काश, इस परिवार में भी कोई सिपाही होता

राजीव पंडित, बागपत

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इसे सभ्य समाज के मुंह पर तमाचा कहें, गांगनौली का दुर्भाग्य या पुलिस की लापरवाही, जो दो साल में एक ही परिवार के पांच सदस्यों की हत्या करने वाले बदमाशों को नहीं पकड़ सकी है। इसके चलते बदमाश पांच हजारी से लखटकिया बन गए। हालांकि जब कुछ बदमाशों ने एक सिपाही की हत्या की तो पुलिस ने उन्हें आननफानन में गिरफ्तार कर लिया।

करीब दो साल तक अमित उर्फ सद्दाम के साथ प्रमोद ने खूब दशहत फैलाई। पिछले महीने अपने ही तमंचे से सद्दाम के मारे जाने के बावजूद प्रमोद ने अपराध नहीं छोड़ा। सूत्रों की मानें तो इस दौरान दूर-दूर के बदमाशों ने प्रमोद से हाथ मिला लिया। प्रमोद ने उनकी मदद से कई बड़ी वारदातों को अंजाम दिया। गांगनौली के जिस परिवार की महिला, उसके पति, बेटे और भतीजे को उन्होंने मौत के घाट उतारा था इस बार उसके दूसरे भतीजे को भी गोलियों से भून दिया। पुलिस फिर इस परिवार को सुरक्षा देने में नाकाम रही। हालांकि जब सिपाही सुभाष को इन्हीं बदमाशों ने मार डाला तो उसने सिर्फ हफ्तेभर में आरोपियों को सलाखों के पीछे भेज दिया। एसपी जेके शाही ने बताया कि पीड़ित परिवार को शुरू से ही सुरक्षा उपलब्ध कराई गई है। हालांकि ये बिना सुरक्षा के ही घूमने-फिरने निकल जाते हैं तो बदमाश अपने मंसूबों में कामयाब हो जाते हैं। फिलहाल परिवार के हत्यारोपी बदमाशों को शीघ्र ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

इस तरह पड़ी रंजिश की नींव

गांगनौली में एकतरफा इस खूनी रंजिश की नींव 13 अगस्त-2012 को रखी गई थी। दरअसल, सद्दाम, प्रमोद और प्रवीण पुत्र रामबीर में दोस्ती थी, लेकिन किसी बात पर प्रवीण से इनका विवाद हो गया। इसके चलते सद्दाम और प्रमोद ने प्रवीण के ताऊ राजेंद्र पर जानलेवा हमला किया था। पुलिस ने इस शिकायत को मामूली समझकर कार्रवाई नहीं की। इसका परिणाम हुआ कि एक माह बाद ही 12 सितंबर को प्रवीण को गोलियों से भून दिया गया। इसके बाद सरोज के परिवार की सुरक्षा बढ़ा दी गई, लेकिन बेखौफ हत्यारों ने 13 अक्टूबर को सरोज के भतीजे संजीव को मार दिया। पीड़ितों की मांग पर उनके परिवार पर पुलिस बल तैनात कर दिया गया।

मुख्यमंत्री तक पहुंची गूंज

इसके बाद सरोज ने दोघट थाने से लेकर लखनऊ में मुख्यमंत्री तक के सामने आपबीती सुनाई तथा सुरक्षा की गुहार लगाते हुए हत्यारोपियों को पकड़ने की मांग की। पुलिस हत्यारों को गिरफ्तार करने की बात तो दूर उन्हें सूंघ तक नहीं सकी। हां, उन दोनों बदमाशों पर एक-एक लाख रुपये का इनाम घोषित हो गया। साथ ही पीड़ित परिवार के सदस्यों की सुरक्षा में हर वक्त पुलिस बल तैनात रहने लगा। इसके बावजूद दोनों बदमाश माने नहीं और 13 नवंबर-2013 को पुलिस सुरक्षा में दोनों बदमाशों ने खेत से आ रही सरोज और उसके पति रामबीर को गोलियों से छलनी कर दिया। सरोज परिवार के साथ हो रही घटनाओं की पैरवी करने के साथ दोनों की शिकायत भी कर रही थीं। दोहरे हत्याकांड की गूंज लखनऊ तक पहुंची, इसके बाद पीड़ित परिवार ही नहीं, रिश्तेदारों तक की भी सुरक्षा बढ़ा दी।

इस बीच सद्दाम अपने ही तमंचे से निकली गोली से मारा गया, लेकिन प्रमोद के सिर खून सवार रहा और 18 अगस्त 2014 को सरोज के दूसरे भतीजे पप्पू को मौत के घाट उतार दिया। इस तरह से मामूली विवाद को लेकर शुरू हुई खूनी रंजिश में एक ही परिवार में एक-एक कर पांच हत्याएं हो गई। पिछले माह जुलाई में जब सिंघावली अहीर थाना क्षेत्र में बदमाशों ने सिपाही सुभाष की हत्या कर दी तो महकमे में बागपत से लेकर लखनऊ तक भूचाल आ गया हो। पुलिस ने सारे काम छोड़ तीनों आरोपियों को धर दबोचा।


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